राकेश मारिया को मुम्बई का पुलिस कमिशनर बनाये जाने के बाद उनसे दो वरिष्पुठ पुलिस अधिकारी नाराज होकर छुट्टी पर चले गये हैं.
उनसे दो वरिष्ठ अधिकारियों को नजरअंदाज करने पर वे छुट्टी पर चले गये हैं.
वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी जावेद अहमद और विजय काम्बले ने सरकार के इस फैसले का खुला विरोध करते हुए छुट्टी पर चले गये हैं.
पुलिस महकमे के करीबी सूत्रों का कहना है कि दोनों अधिकारियों ने राज्य सरकार से अपनी नाराजगी जताते हुए साफ कहा है कि मुंबई में पुलिस के शीर्ष पद के लिए उनके नामों पर विचार नहीं कर उनके साथ अन्याय किया गया है.
हालांकि, महाराष्ट्र सरकार ने मारिया की नियुक्ति के बचाव में कूद पड़ी है.
गृह मंत्री आरआर पाटिल ने संवाददाताओं से कहा कि मारिया की नियुक्ति पर किसी ने भी मुझसे असंतोष नहीं जाहिर किया है. उन्होंने कहा कि यदि आप मुंबई पुलिस आयुक्त के पद पर पूर्व नियुक्तियों को देखें तो आप पाएंगे कि अंतिम पसंद तक पहुंचने में सिर्प वरिष्ठता ही कसौटी नही रही है.
पाटिल ने कहा कि सेवाकाल की बची हुई अवधि, इससे पहले किस शाखा में काम किया है, ट्रैक रिकार्ड क्या है आदि जैसी चीजों पर भी विचार किया जाता है. उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के मुताबिक पुलिस प्रतिष्ठान बोर्ड की स्थापना की गई है और इसने तीन नाम सुझाए, यह नियुक्ति उसी आधार पर की गयी है.
पाटिल का तर्क यह है कि मुंबई शहर की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है.
लेकिन पाटिल के इस कथन से यह अर्थ निकाला जा रहा है कि बाकी के दो वरिष्ठ अधिकारी मुम्बई की सुरक्षा करने में सफल नहीं हो सकते. माना जा रहा है कि पाटिल का यह बयान आग में घी का काम कर सकता है.