राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए यानी नेशनल इंवेस्टिगेटिव एजेंसी ने 2006 के मालेगांव विस्फोट के मामले में एटीएस और सीबीआई के निष्कर्षों को झुठलाते हुए मामले में नया आरोप-पत्र दाखिल किया है.
एनआईए की ओर से दाखिल आरोप पत्र में कहा गया है, ‘सीबीआई और एटीएस की पहले की जांच 13 सितंबर, 2006 को बरामद हुए नकली बम पर केंद्रित थी.’ इस दिन मालेगांव की मोहम्मदिया मस्जिद की सीढ़ी पर ‘नकली’ बम पाया गया था.
मालेगांव पुलिस ने इसी नकली बम मामले में नूरूल हुदा और रईस अली नामक दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया था तथा इन पर मालेगांव विस्फोट का मामला दर्ज किया गया था.
मालेगांव पुलिस ने इसी नकली बम मामले में नूरूल हुदा और रईस अली नामक दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया था तथा इन पर मालेगांव विस्फोट का मामला दर्ज किया गया था.
बाद में एनआईए ने इसकी जांच की और पाया कि इसमें एक अति-दक्षिणपंथी संगठन का हाथ है. इस मामले में लोकेश शर्मा, धन सिंह, मनोहर सिंह और राजेंद्र चौधरी को गिरफ्तार किया गया. इन सभी के खिलाफ ताजा आरोप पत्र दाखिल किया गया है.
एनआईए ने कहा कि एटीएस और सीबीआई ने नकली बम के मामले को 2006 के मालेगांव विस्फोट से जोड़ दिया. आरोप-पत्र में आगे कहा गया है कि सीबीआई उन आरोपियों के खिलाफ कोई अतिरिक्त सबूत इकट्ठा कर नहीं कर पाई, जिनके खिलाफ एटीएस ने आरोप-पत्र दाखिल किया था.
एनआईए के आरोप पत्र में कहा गया है, ‘मौजूद रिकॉर्ड्स से इसका खुलासा होता है कि बातचीत की रिकार्डिंग के अलावा सीबीआई आरोपियों के खिलाफ कोई अतिरिक्त सबूत हासिल नहीं कर पाई.’
एटीएस ने मालेगांव विस्फोट के मामले में नौ लोगों को गिरफ्तार किया था लेकिन एनआईए ने जांच की जिम्मेदारी संभालने के बाद इन्हें जमानत मिल गई.