J

राजद में दो बाबा हैं। दोनों पूर्व सांसद हैं। एक हैं तिवारी बाबा यानी शिवानंद तिवारी। दूसरे हैं ब्रह्म बाबा यानी रघुवंश प्रसाद सिंह। दोनों में खास अंतर है। शिवानंद तिवारी खबरों के साथ अपडेट रहते हैं, जबकि रघुवंश प्रसाद सिंह अपने बयानों से खबरों को अपडेट बनाए रखते हैं। राजद प्रमुख लालू यादव को लेकर आज आने वाले फैसलों को लेकर सुबह से ही राजनीतिक तापमान बढ़ा हुआ था। हालांकि आज उनके मामले की सुनवाई नहीं हो सकी। सजा की घोषणा कल हो सकती है।

वीरेंद्र यादव

आज सुबह हम घर से निकले तो सबसे पहले विधान परिषद के पूर्व सभापति अवधेश नारायण सिंह के आवास पर पहुंचे हैं। वे हमारे स्‍थानीय विधान पार्षद भी हैं। वे गया स्‍नातक क्षेत्र से निर्वाचित हुए हैं और हमारा प्रखंड ओबरा भी उसी में आता है। करीब घंटा भर इंतजार के बाद उनसे मुलाकात हुई। हमने ‘वीरेंद्र यादव न्‍यूज’ की कॉपी उन्हें दी। थोड़ा अवलोकन के बाद उन्‍होंने कहा कि हमने सबसे ज्‍यादा चार सदस्‍यों को दल-बदल कानून के तहत बर्खास्‍त किया है। महाचंद्र प्रसाद सिंह, नरेंद्र सिंह और सम्राट चौधरी के संबंध में हमें पता था, लेकिन चौथे के संबंध में हमें जानकारी नहीं थी। उन्‍होंने ही बताया कि सीवान स्‍थानीय निकाय से निर्दलीय निर्वाचित मनोज सिंह 2014 में लोकसभा जदयू के टिकट पर लड़े थे। इस कारण दल-बदल कानून के तहत कार्रवाई की गयी थी और उनकी सदस्‍यता समाप्‍त कर दी गयी थी। निर्दलीय विधान पार्षद भी किसी पार्टी के टिकट पर चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। उसके बाद हुए उपचुनाव में टुना जी पांडेय परिषद के निर्वाचित हुए थे। बाद मनोज सिंह ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था और चुनाव हार गये थे।

अवधेश नारायण सिंह के आवास से हम पूर्व शिवानंद तिवारी के आवास पर पहुंचे। दरवाजा खोला तो वे एक टीवी चैनल पर लाइव इंटरव्‍यू दे रहे थे। हम थोड़ी देर बाद बाहर ही इंतजार करने के बाद कमरे में प्रवेश किये। इस दौरान उन्‍होंने न्‍यायालय और न्‍यायाधीशों के जातीय चरित्र पर सवाल उठाया था और न्‍यायपालिका में आरक्षण की मांग उठा दी। उनके इस बयान के बाद टीवी चैनल पर ‘गलथेथरी’ का मुख्‍य मुद्दा शिवानंद तिवारी का बयान ही बन गया। फैसले से इतर आरक्षण बहस के केंद्र में आ गया। इसके बाद चैनल ने उन्‍हें होल्‍ड पर ले लिया यानी उनसे फिर चर्चा होगी, इसलिए लाइन पर बने रहें। काफी देर तक शिवानंद तिवारी अपनी बारी का इंतजार करते रहे। कभी सिग्‍नल डाउन हो जा रहा था तो कभी अन्‍य स्‍टेशनों का दबाव आ रहा था। उधर शिवानंद तिवारी पर ठंड का असर बढ़ने लगा था। बिना ओढ़ना के कड़ाके की ठंड में बैठना मुश्किल हो रहा था। ठंड से वे ‘कठुआने’ लगे थे। आखिर उन्‍होंने पूछ ही‍ लिया कि ठंड में कब तक बैठाए रखेंगे।

शिवानंद तिवारी के बयान से राजनीति का तापमान बढ़ गया था, लेकिन ठंड से कठुआ रहे शिवानंद तिवारी जब दुबारा लाइन पर आये तो सवाल था कि आप मामले पर राजनीति नहीं कर रहे हैं? इस पर उन्‍होंने कहा कि क्‍या हम मठ चलाते हैं कि राजनीति नहीं करेंगे। राजनीति मंच पर तो राजनीति ही होगी।

By Editor


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/naukarshahi/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427