बिहार के बंधुआ मजदूरों को उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर से मुक्त कराने के मामले ने तुल पकड़ लिया है। इस संबंध में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मिर्जापुर के जिलाधिकारी तथा उत्तर प्रदेश एवं बिहार के श्रमायुक्तों को नोटिस भेजा है। आयोग ने रिहा कराये गये मजदूरों की संख्या, उन्हें राहत तथा पुनर्वास के बारे में दो सप्ताह में ब्यौरा मांगा है।
उल्लेखनीय है कि मिर्जापुर के ईंट भट्ठे से हाल में 50 बन्धुआ मजदूरों को मुक्त कराया गया था। आयोग ने मिर्जापुर के सिनहर से जुडी मीडिया रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लेते हुए यह कार्रवाई की। इनमें से ज्यादातर मजदूर बिहार के थे। छापे के दौरान भट्ठा मालिक न्यूनतम मजदूरी देने का रजिस्टर उपलब्ध नहीं करा सका। इस बीच अपर श्रमायुक्त पंकज सिंह राणा ने कहा कि बन्धुआ मजदूरों की संख्या और हो सकती है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, मिर्जापुर से मुक्त हुए बंधुआ मजदूरों में गया के जिला प्रशासन के सामने अपनी पीड़ा सुनायी और वहां की बदहाली चर्चा भी की। इन मजदूरों ने कहा कि अभी भी बड़ी संख्या में बंधुआ मजदूर मिर्जापुर में हैं। इन मजदूरों को बाहर भी नहीं जाने दिया जाता है और उन पर पहरा लगा रखा है। इस बीच गया के जिला प्रशासन ने कहा कि पुनर्वास के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा और उन्हें पुनर्वास के लिए आर्थिक मदद भी की जाएगी।
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