सहारा ग्रूप की कम्पनियों की आर्थिक अनियमितता को बेनकाब करके सुब्रत रॉय को हवालात तक पहुंचाने वाले उस एक नौकरशाह को जानिये जिन्होंने लाखो निवेशकों के हितों के लिए खुदको जोखिम में डालाkm.abraham-subrat.roy

1982 बैच के केरल कैडर के आईएएस अधिकारी केएम अब्राहम का नाम भले ही हिंदी पट्टी के लोगों के लिए अंजान हो. पर उन्होंने हिंदी पट्टी के लाखों गरीबों और छोटे निवेशकों के 24 हजार करोड़ रुपये को डूबने से बचाने के प्रयास में अहम भूमिका निभाई है.

यह केएम अब्राहम ही हैं जिन्होंने सहारा समूह की दो कंपनियों सहारा इंडिया रियल इस्टेट कॉरपोरेशन (SIREC)और सहारा हाउसिंग इस्टेट कॉरपोरेशन (SHIC) के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे. 29 अप्रैल 2011 को अब्राहम ने सहारा समूह के खिलाफ जांच करनी शुरू की थी. उस समय अब्राहम शेयर बाजार नियामक संस्था2 संस्था सेबी के जुलाई 2011 तक पूर्णकालिक निदेशक थे.

30 दिसंबर 1957 को केरल में जन्में अब्राहम ईएएस अधिकारी हैं के साथ-साथ सिविल इंजिनयरिंग में ग्रेजुएट और अर्बन प्लानिंग में पीएचडी भी कर चुके हैं. 2008 में वह सेबी से जुड़े थे.

लोभ और धौंस के भी शिकार

आज सुब्रत रॉय अगर चार दिनों की न्यायिक हिरासत में हैं तो इसमें अब्रहाम के उस ईमानदार प्रयास का ही हाथ है जिन्हें दबाने, धौंसाने के पहले बड़े-बड़े ऑफर तक किये गये थे. किसी लोभ, किसी लालच और किसी भी डर के आगे झुकने के बजाये अब्राहम ने लाखों निवेशकों के हितों को ध्यान रखा लेकिन इसके लिए उन्हें कई तरह की परेशानियों का भी सामना करना पड़ा. उनके आला अधिकारियों पर इतना राजनीतिक दबाव डाला गया कि अब्राहम को राजनीतिक दबाव के चलते सेबी में एक्सटेंशन नहीं दिया गया.

लेकिन सबसे अहम बात यह है कि अब्राहम ने सहारा ग्रुप की कंपनियों को इस तह तक जाकर बेनकाब किया कि सिक्यूरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल और न ही सुप्रीम कोर्ट इसमें कोई गलती तलाश पाए, नतीजा यह हुआ कि सुब्रत रॉय के खिलाफ शिंकजा कसता गया. हालांकि खबर यह भी है कि सहारा ग्रूप ने न्यायपालिका को भी अपने दंभ के आगे झुकाने और लालच देने की कोशिश की.

हालांकि आज अब्राहम केरल में एडिशनल चीफ सेक्रेटरी के पद पर तैनात हैं लेकिन उनकी जांच और उस जांच में पेश किये गये तथ्य इतने अकाट हैं कि आज सुब्रत रॉय जैसे देश की ताकतवर शख्सियत को हवालात तक पहुंचना पड़ा है.

नियामक संस्था सेबी यानी सेक्युरिट एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया की जांच से यह साफ हो गया था कि सहारा की कंपनियों में कॉरपोरेट गवर्नेंस की भारी कमी है. सहारा समूह की दो कंपनियों SIREC और SHIC ने बाजार से 24 हजार करोड़ रुपये जुटा चुकी थीं जबकि उसका लक्ष्य 40,000 करोड़ जुटाने का था. लेकिन सेबी ने इस भारी अनियमितता को पकड़ लिया. ये दोनों कम्पनियां शेयर बाजार में इनलिस्टेड नहीं थी.

By Editor

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