एक ऐसे नायक से हम आपकी मुलाकात करवा रहे हैं जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी शहादत देने के बावजूद बिसार दिये गये नायकों को 25 वर्षों की अथक मेहनत के बाद खोज निकाला और उन पर 13 पुस्तकें लिख डालीं.
उमर अशरफ की कलम से
मैं जब भी आज़ादी के मुस्लिम मुजाहिदीन ( Muslim freedom fighter ) के बारे में पढ़ता हूं काफी फ़ख़्र होता है लेकिन दूसरे ही पल इतिहास लेखन में नजर अंदाज कर दिये गये मुस्लिम मुजाहिदीन के बारे में पता चलता है तो मायूसी छा जाती है. शायद इसी फ़िक्र न हमें हैदराबाद के सैयद नसीर अहमद से मिलवा दिया.
हिंदुस्तान की जंग-ए-आज़ादी में हज़ारों मुसलमानों ने क़ुर्बानियां दीं मगर आज उनकी कुर्बानियां इतिहास की किताबों में चन्द पैराग्राफ में सिमट कर रह गए हैं. सैंकड़ो महान क्रांतिकारियों का नाम तक नहीं लिया जाता. सय्यद नसीर अहमद ने इन रहनुमाओं के कारनामे अवाम तक ले जाने का बीड़ा उठाया है.
और अब तो हाल यह हो गया है कि नसीर साहेब ने मुजाहिदीन आज़ादी पर 13 से अधिक किताबें लिख दीं हैं. ये किताबें तेलगु भाषा मे हैं. जिन्हें अब हिन्दी, उर्दू , इंगलिश समेत कई भाषाओं मे अनुवाद किया जा रहा है. उनकी दर्जनो किताबें हैं, मगर ‘The Immortals’ उनका लासानी कारनामा है.
नायक होते नहीं, गढ़ना पड़ता है
सैयद नसीर अहमद का मानना है कि नायक होते नहीं हैं, बनाना पड़ता है. लोग तो अपना किरदार निभा कर चले जाते हैं, बाकी काम आने वाली नस्लों को करना पड़ता है. “मंगल पांडे, बाबू कुवंर सिंह, उद्धम सिंह, नाना साहेब, रानी लक्छमी बाई , भगत सिंह, खुदी राम बोस, सुभाष चंद्रा बोस, कृंष्णा सिंह के चाहने वालों ने बड़ी मेहनत से उनके काम को स्थापित किया.
बाक़ी अगर मैं हैदर अली, पीर अली , शेर अली , अमानत अली , अबदुल्लाह , हज़रत महल , अज़ीमुल्लाह ख़ान , आसाफ़ अली , बरकतउल्लाह भोपाली, अब्दुल बारी के काम को स्थापित कर रहा हुँ तो इस पर हर भारतीय को नाज़ होना चाहीए..!
59 वर्षये सैयद नसीर अहमद पुरीनी गांव मे पैदा हुए जो सिमांध्र के निल्लोर मे स्थित है. शुरुआती पढ़ाई पुरीनी मे ही की फिर आगे पढ़ने के लिए देश के कई हिस्से गए जिसमे कवाली, नरासाराुोट, भोपाल, गुंटुर जैसी जगहें शामिल हैं.
नसीर ने वकालत करने के लिए सरकारी नौकरी छोड़ दी. और फिर पत्रकारिता मे हाथ आज़माया चूंकि यह काम काफ़ी संयम का था इस लिए उन्होंने खोजी पत्रकारिता शुरु की और स्वातंत्रा संग्राम के भुला दिये गए नायको को ढुंढ़ने लगे और इसे करते करते उनहोंने अपनी ज़िन्दगी के 25 साल गुज़ार दिए और इस क्रम मे उनहोने 13 से अधिक किताबें लिख डाली..
हैदराबाद के इंजिन्यर सैयद ख़ालिद सैफ़ुल्लाह की मदद से नसीर साहब ने एक एैस एनड्रोआयड ऐप तैयार करवाया है जो मुसलिम सवातंत्रा सेनानियो की कहानीयों को ख़ुद मे समेट रखा है और इस तरह का ऐप भारत के इतिहास मे पहली बार बना है जिससे लोग मुसलिम सवातंत्रा सेनानियो के बारे मे जानकारी पा सकोंगे
अगर आप नसीर की पुस्तकें पढ़ना चाहें तो इस लिंक से ऐप डाउनलोड कर के पढ़ सकते हैं
https://play.google.com/store/apps/details?id=com.raylabs.muslimfreedomfighters
[author image=”https://naukarshahi.com/wp-content/uploads/2016/08/umar.ashraf.jpg” ]उमर अशरफ पेशे से सिविल इंजीनियर हैं. पर समसामयिक विषयों और राज समाज के मुद्दों पर गहरी दिलचस्पी रखते हैं. वह एक जुनूनी सोशल मीडिया एक्टिविस्ट हैं.[/author]