‘मीठी-तीखी’ के अंतर्गत पढ़ें ज्ञानेश्वर का साप्ताहिक कॉलम
खुले-अधखुले
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मन के भीतर दबी उत्कंठाएं बाहर आ रही है । कुछ ने पत्ते खोल दिये,कई अधखुले हैं । आर के सिंह और आर एस पांडेय मैदान में आ गये । दोनों ब्रांड भाजपा बने हैं । देखना शेष है के पी रमैया को । रिटायर होना है । 2014 लड़ना चाहते हैं । दिक्कत है कि भाजपा-जदयू में झूल रहे हैं । वेंकैया नायडू से बेहतर रिश्ता है,नीतीश कुमार भी मन मोहे हैं । जाने-माने आईपीएस अधिकारी ज्योति कुमार सिन्हा अगले कुछ दिनों में मन की बात कह सकते हैं । लालू प्रसाद बाहर आ रहे हैं । जेकेएस पर निशाना इन्होंने ही साध रखा है । कंफ्यूजन मुंगेर/बेगूसराय को लेकर है । अफजल अमानुल्लाह की चाहत भी शेष है । मैडम परवीन अमानुल्लाह मंत्री बन गईं तो क्या हुआ,जेहन में लोक सभा है । संभव है,किशनगंज में मैडम की दावेदारी ठीक से उभरे ।
जहानाबाद की राह
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जहानाबाद की राह को लेकर तरह-तरह के कयास हैं । लालू यादव छूट रहे हैं,तो जगदीश शर्मा भी छूट ही जायेंगे । लेकिन टिकट का क्या होगा । स्वयं जगदीश शर्मा लड़ नहीं सकते । ऐसे में,पत्नी/बेटे को टिकट मिलेगा क्या,चर्चा सभी करते हैं,लेकिन जवाब किसी के पास नहीं है । राजद से सुरेन्द्र यादव का लड़ना तय जानिये । उपेन्द्र कुशवाहा की तकनीक से अरुण कुमार भाजपा को झटकने में लगे हैं । लेकिन इसी कूदा-कूदी में संप्रदा सिंह का नाम आने से रोचकता बढ़ गई है । हाल ही में संप्रदा सिंह को देश के सौ अमीरों में 48 वां स्थान मिला है । फिर पटना में इन्होंने कई दिनों तक कैंप किया । मीडिया से मिले । भाजपा नेताओं से गले लगे । समझा जा रहा है कि भाजपा की ओर झुकाव है । किंग महेन्द्र पहले से जहानाबाद की राजनीति की धुरी में हैं । वे संप्रदा सिंह की इंट्री को कैसे लेते हैं,जानना जरुरी होगा । आखिर धंधे में दोनों प्रतियोगी जो ठहरे ।
सो,रोटी में मक्खन किधर है,पहचानना दोनों जानते हैं ।
अर्जुन भवन<
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पूर्णिया का अर्जुन भवन फिर से गुलजार है । जब से पप्पू यादव विधायक अजीत सरकार हत्या-कांड में दोष मुक्त हुए हैं,मेला लगा रहता है । पप्पू की चाहत-ताकत ने खगडि़या से अररिया तक सभी धुरंधरों को परेशान कर रखा है । मधेपुरा में शरद यादव तो सबसे अधिक तनाव में हैं । कभी पप्पू ने ही खुली जीप में शरद यादव को मधेपुरा की सैर कराई थी । रंजीता रंजन भी लोकसभा में रहीं हैं । ऐसे में,दोनों लड़ेंगे । माना जाता है कि रंजीता सुपौल में ही रहेंगी,लेकिन पप्पू कहां जायेंगे,सभी अंतिम रुप से जानने को व्याकुल हैं । जिलेवार रैली और जुट रही भीड़ दूसरों की चिंता का सबब है । खुद पप्पू भी कभी होटवार जाकर लालू यादव से मिल आते हैं,तो आत्म-कथा के लोकार्पण समारोह में रामविलास पासवान के साथ खड़े दिखते हैं । रंजीता ने कांग्रेस नहीं छोड़ी है । अंत में,पप्पू-रंजीता का फैसला क्षेत्र के समीकरण को गड़बड़ाये बिना नहीं रहेगा ।
भाई दिनेश
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राजद के विधायक भाई दिनेश अजब-गजब करते ही रहते हैं । विधान सभा का सत्र हो और टीवी में भाई दिनेश न दिखें,नामुमकिन है । शुक्रवार को तो गजब ही कर दिया । बीच सत्र में ही लालू यादव को बेल मिलने की खबर आई । तुरंत कूदने लगे । भागे-भागे कैंटीन पहुंचे । पूरा कनस्तर गाजा (मिठाई) ले लिया । हाथ में लिये गेट पर पहुंचे । सबों को खा-खिला रहे थे । तभी नीतीश कुमार पोर्टिको में पहुंचे । सीढि़यां चढ़ते कुमार की ओर कनस्तर लिये दिनेश बढ़ने लगे । मुख्यमंत्री ने तुरंत मंशा को भांपा । शरीर की भाषा बदली । बिना कुछ देखे-जानने का अहसास किये आगे बढ़ गये । भाई दिनेश मिठाई भले न खिला पाये हों,लेकिन टीवी में नीतीश कुमार के रास्ते में मिठाई बांटते तो दिखने ही लगे ।
कौन करे अनुकरण
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कितना अच्छा लगता है सुनने में,जब कोई कहता है कि देश बिहार का अनुकरण कर रहा है । बिहार सरकार तुरंत पीठ ठोकती है । लेकिन अभी मसला ऐसा है कि बिहार अनुकरण करने को तैयार कभी न हो । सुप्रीम कोर्ट ने बड़े-बड़ों की लाल बत्ती गुल कर दी है । विधायक-सांसद किसी को नहीं । हाकिमों की गाड़ी से भी उतरेगी । बिहार में अनुकरण को जूं तक नहीं रेंग रही । लेकिन झारखंड के चीफ सेक्रेट्री ने शुक्रवार को ही अपनी गाड़ी से लाल बत्ती उतरवा ली । बिहार में कोई फालो करेगा क्या । यहां ,नेता-हाकिम को कौन पूछे,पालतू-फालतू की गाड़ी में भी लाल बत्ती लगी होती है । आखिर सब्जी मार्केट से लेकर मुर्दा घाट में रोब जो गांठना है । कुछ महीने पहले मैं भुवनेश्वर गया था । आठ दिनों तक ठहरा । गिनकर दो लाल बत्ती गाड़ी मिली । पटना में तो हर मिनट पर दो-चार डराते मिल जाती है । सहमत हैं न आप…. ।