मुख्यमंत्री जी अपनी बर्बर पुलिस को संभालिए, बगहा गोलीकांड और जमुई में पुलिस पिटाई से हुई मौत के बाद अब फिर पुलिस-पब्लिक झड़प में लोग घायल हुए हैं.कानून व्यवस्था की हालत गंभीर है.
बिहार में कानून व्यवस्था का बुरा हाल है सुशासन का दंभ भरने वाली सरकार के अमले ही हत्या और नरसंहार में लगे हैं. पिछले हफ्ते बगहा गोलीकांड के बाद अब जमुई में युवा की पुलिस पिटाई से मौत से राज्य के लोगों में आक्रोश चरम पर है.
मुन्ना की अमानवीय मौत ने जमुई को धधकने की हद तक पहुंचा दिया है. वहां मंगलवार पूरा दिन पुलिस-पब्लिक झड़प में बीता. दर्जनों महिलाये समेत अनेक लोग जख्मी हुए. पुलिस वालों को भी गंभीर चोट आई है. कानून व्यवस्था की इससे चौपट स्थिति और क्या हो सकती है. उधर बगहा का उबाल देखने में तो शांत लगता है पर वहां के हालात भी ठीक नहीं है.
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बगहा में पुलिस ने थारू जनजाति के छह लोगों को गोलियों से मौत के घात उतार दिया था जबकि जमुई में मुन्ना कुमार नामक युवा को अपहरण के आरोप में पुलिस हिरासत में बेरहमी से पिटाई की गयी. गुप्तांग में पेट्रौल और मिर्च पावडर डाला गया जिससे उनकी मौत हो गयी.
इन दोनों घटनाओं ने यह साबित किया है कि प्रशासनिक तंत्र ही हत्यारा हो गया है.इससे राजनीतिक नेतृत्व को शर्मशार होना पड़ रहा है.यह ठीक है कि सरकार ने जमुई के एसपी दीपक वर्णवाल को हटा दिया है और उनकी जगह जितेंद्र राणा जमुई के नए एसपी बने हैं. इसी तरह पिटाई में शामिल जमुई के थानेदार जितेंद्र कुमार एवं गिद्धौर के थानेदार सत्यब्रत भारती पर प्राथमिकी दर्ज कर निलंबित कर दिया गया है.
पर इतना कर लेने से भी हालात में कोई सुधार नहीं दिख रहा है.
अगर हालात कूब में नहीं आये तो राज्य सरकार को काफी जिल्लत उठानी पड़ेगी.