पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सभी गांवों को 15 जून तक बिजली देने का निर्देश देकर गरीब जनता की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश की है। उन्हें बिजली विभाग की यह हकीकत पता है कि अभी 27 जिलों में 28,259 गावों के 71,290 टोले अंधेरे में हैं और 54 लाख से ज्यादा बीपीएल परिवार बिजली के इंतजार में हैं।
अपने फेसबुक पोस्ट में श्री मोदी ने लिखा है कि 12 वीं पंचवर्षीय योजना के तहत 27 जिलों में ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2013 में धनराशि मंजूर की थी। लोकसभा चुनाव को करीब देख कर नीतीश कुमार ने जनवरी 2014 में बिना टेंडर हुए ही आनन-फानन में काम का शुभारंभ करा दिया। उन्होंने कहा कि टेंडर बाद में अक्टूबर-नवंबर 2014 में हुआ। एग्रीमेंट की मूल शर्त के अनुसार इन जिलों में 28,259 गांवों का विद्युतीकरण नवंबर 2016 में पूरा होना है। नीतीश कुमार बतायें कि जो काम तय शर्त के मुताबिक दो साल में पूरा होना है, वह सिर्फ चार महीने में 15 जून 2015 तक कैसे पूरे हो जाएगा.?
उन्होंने कहा कि आंकड़े बताते हैं कि गांवों को बिजली पहुंचाने की योजनाएं काफी धीमी गति से चल रही हैं। नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा का हाल यह है कि 998 गांवों में बिजली पहुंचाने के लिए दिसंबर 2014 तक 1 लाख 51 हजार पोल गाड़े जाने थे, लेकिन यह काम अभी केवल 16 फीसद हो सका है। जिले में लगने थे 30 ट्रांसफरमर, लेकिन लग पाये सिर्फ तीन। मुख्यमंत्री अपने जिले में 998 गांवों के लक्ष्य के मुकाबले सिर्फ पांच गांवों का विद्युतीकरण करा पाये ।