सुप्रीम कोर्ट ने आज मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में पटना हाईकोर्ट के उस फैसले को बदल दिया, जिसमें कोर्ट ने मुजफ्फरपुर रेप कांड की जांच से संबंधित मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक लगा दी थी. तब कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ पत्रकार निवेदिता शकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दर्ज कर मीडिया कवरेज पर लगी रोक हटाने का आग्रह किया था.
नौकरशाही डेस्क
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि मीडिया कवरेज को आंख बंद कर बैन नहीं किया जा सकता है. हालांकि कोर्ट ने मीडिया से भी कहा है कि वह किसी पीड़िता का इंटरव्यू नहीं कर सकती है और न किसी का चेहरा दिखा सकती है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार मुजफ्फरपुर रेप कांड में मीडिया रिपोर्टिंग पर लगाए गए बैन को हटा लिया गया है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में रिपोर्टिंग को लेकर कुछ अहम गाइड लाइन भी दी है. मीडिया को इस गाइड लाइन के अनुरूप ही रिपोर्टिंग करने का आदेश दिया गया है.
मालूम हो कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह के मामले में पटना हाईकोर्ट ने 24 अगस्त को मीडिया पर इस मामले की रिपोर्टिंग करने पर रोक लगा दी थी. साथ ही हाईकोर्ट ने मामले से जुड़े तथ्यों के प्रकाशन और प्रसारण पर रोक लगा दी गई थी. कोर्ट ने कहा था कि सीबीआई जांच से जुड़े तथ्यों की जानकारी प्रिंट और इलैक्ट्रॉनिक मीडिया तक कैसे पहुंच रही है. इससे जांच प्रभावित हो रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह मीडिया ट्रायल नहीं बल्कि मीडिया जजमेंट है. कोर्ट ने कहा हम उम्मीद करते हैं कि प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आत्म चिंतन करें कि क्या हो रहा है. मुजफ्फरपुर मामले में कोर्ट ने कहा कि मीडिया ने पहले ही आरोपियों को दोषी करार दे चुका है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मीडिया रिपोर्टिंग पर ब्लैंकेट बैन नहीं लगाया जा सकता है. लेकिन इसके लिए सीमा रेखा होनी चाहिए. कोर्ट ने आदेश दिया है कि यौन उत्पीड़न मामले में पीड़िता का किसी भी तरह से पहचान उजागर न हो. पीड़िता का कोई इंटरव्यू नहीं होगा. इस तरह के मामले को मीडिया सनसनीखेज न बनाएं.