वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद् की 17वीं बैठक में मुनाफाखोरी निरोधक कानून के प्रारूप को मंजूरी दे दी गयी। इसके तरह तीन-स्तरीय जाँच की व्यवस्था की गयी है तथा संज्ञान के आधार पर कार्रवाई का भी प्रावधान है।
बैठक के बाद राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने बताया कि इस कानून में संज्ञान तथा शिकायत दोनों के आधार पर कार्रवाई की व्यवस्था है। शिकायत सही पाये जाने पर कारोबारी या कंपनी को अनुचित ढंग से कमाया गया मुनाफा ग्राहकों को वापस करना होगा। जहाँ ग्राहकों को यह पैसा वापस करना संभव नहीं होगा वहाँ इसे उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा करा दिया जायेगा। उल्लेखनीय है कि जीएसटी कानून में यह व्यवस्था है कि करों की दरों में कमी के कारण होने वाला पूरा लाभ निर्माताओं या सेवा प्रदाताओं को ग्राहकों को स्थानांतरित करना होगा।
श्री अधिया ने बताया कि शिकायतों के निपटान के लिए तीन-स्तरीय व्यवस्था की गयी है। पहले स्तर पर नौ-सदस्यीय स्थायी समिति की व्यवस्था की गयी है, जो प्रारंभिक जाँच करेगी। जीएसटी क्रियान्वयन समिति को ही स्थायी समिति में बदल दिया गया है। इसमें राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के चार-चार प्रतिनिधि तथा जीएसटी परिषद का एक सदस्य शामिल है।
स्थायी समिति द्वारा आरोपों को सही पाये जाने पर उसे डायरेक्टर जनरल सेफगार्ड के पास भेज दिया जायेगा। वहाँ भी शिकायत सही पाये जाने पर उसे पाँच-सदस्यीय मुनाफाखोरी निरोधक प्राधिकरण के पास भेजा जायेगा। प्राधिकरण की अध्यक्षता सचिव स्तर के एक सेवानिवृत्त अधिकारी करेंगे, जबकि संयुक्त सचिव स्तर का एक अधिकारी भी इसका सदस्य होगा।