भारतीय प्रतिस्पीर्धा आयोग ने मुम्बई के डॉ़ हीरानंदानी अस्पताल पर प्रतिस्पर्धा नियमों का दोषी पाये जाने पर 3.81 करोड़ का जुर्माना लगाया है.
आयोग ने प्रतिस्पलर्धा अधिनियम, 2002 की धारा 3 के उल्लंपघन का दोषी पाया है.इस बारे में रमाकांत किनी भारतीय प्रतिस्पिर्धा आयोग से शिकायत की थी।
किनी ने आरोप लगाया था कि अस्प्ताल का मैसर्स क्रायोबैंक नामक स्टे म सैल बैंक के साथ विशेष समझौता है ऐसे में अस्पपताल ने गैर-प्रतिस्पकर्धी रवैया अपनाते हुए उस बैंक विशेष के अलावा किसी भी अन्यस स्टेरम सैल बैंक को बच्चे् के स्टे्म सैल लेने के लिए अपने परिसर में प्रवेश की इजाजत नहीं करने दे रहा है।
शिकायत मिलने पर आयोग के महानिदेशक ने विस्ता र से जांच करने के बाद पाया कि अस्पयताल द्वारा एक खास स्टेेम सैल बैंक के साथ ही विशेष समझौता करना अधिनियम की धारा 3 (1) के प्रावधानों के तहत प्रतिस्पीर्धा विरोधी है क्योंककि इससे स्टेिम सैल बैकिंग मार्केट में प्रतियोगिता पर काफी बुरा असर पड़ा है।
भारतीय प्रतिस्पिर्धा आयोग ने अधिनियम की धारा 27 के तहत आदेश पारित करते हुए फैसला दिय. है कि 1. अस्पाताल और क्रायोबैंक के बीच वर्ष 2011-12 और वर्ष 2012-13 के लिए हुआ समझौता खारिज किया जाता है।
2. भविष्य में अबि यह अस्पिताल किसी भी अन्यव सटेम सैल बैंक के साथ ऐसा समझौता नहीं करेगा।
भारतीय प्रतिस्पयर्धा आयोग ने बैंक पर 3,81,58,303/- रूपये का जुर्माना भी लगाया है। यह जुर्माना बैंक की कुल सालाना आय का चार प्रतिशत है। अस्प8ताल को यह जुर्माना राशि आदेश मिलने के 60 दिनों के भीतर जमा करानी होगी।