अगर सूचना अधिकार अधिनियम नहीं होता तो यह शर्मनाक सच्चाई भी सामने नहीं आती कि कैसे मुलायम यादव की सुरक्षा में लगे 43 पुलिसकर्मियों को नियमों को धता बता कर प्रोमोशन दे दिया गया है.
जाहिर है यह मेहरबानी मुलायम सिंह से नजदीकी का तोहफा है. जबकि ईमानदार पुलिस वालों को नजरअंदाज किया गया है.
हेडलाइंस टुडे के मुताबिक 14 पुलिस वालों की एक टीम ने प्रमोशन न होने पर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. ये वही पुलिस वाले हैं, जो एक स्पेशल यूनिट के रूप में कई डकैत गिरोहों का खात्मा कर चुके हैं. कोर्ट ने इस सभी को प्रमोट करने का आदेश राज्य सरकार को दिया है.
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मालूम हो कि आरटीआई यानी सूचना अधिकार अधिनियम के तहत दिये गये आवेदन से इस बात से पर्दा उठा है. पता चला है कि हाल में उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार ने 43 ऐसे पुलिस वालों को प्रमोशन दिया है, जो उनके पिता मुलायम के सुरक्षा दस्ते में तैनात थे.
इसके बाद से सूबे की राजधानी लखनऊ में नेता जी के सुरक्षा दस्ते में शामिल होने के लिए पैरवी में तेजी आ गई है. इस फेर में ऐसे बहादुर अफसर, जो वाकई सुरक्षा दस्ते की कमान संभालने की काबिलियत रखते हैं, उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है.
दर असल कुख्यात डकैतों को मारने वाले कई पुलिस अफसर और जवान सरकारी फैसला का इंतजार ही करते रहे और आखिरी में उन्हें प्रमोशन के लिए कोर्ट जाना पड़ा.