बिहार में मुसलमानों के राजनीतिक वजूद को धारदार बनाने के लिए एक नये प्रयोग की शुरुआत हुई है.इसके तहत विभिन्न राजनीतिक धारा के नेता एक मंच पर आ रहे हैं.
इसके लिए जनता दल राष्ट्रवादी के राष्ट्रीय संयोजक अशफाक रहमान ने पहल की है. इस पहल के तहत अलग-अलग राजनीतिक विचारों के बावजूद नेता, सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार व अन्य क्षेत्र में सक्रिय बुद्धिजीवी एक मंच पर आये हैं. इस सिलसिले में एक बैठक राजधानी पटना में आयोजित की गयी. इस बैठक में दो पूर्व मंत्री एक पूर्व विधायक समेत अनेक सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार व उलेमा शामिल हुए. इस कारवां को आगे बढ़ाने के लिए अगली बैठक 12 फरवीर को पटना में आयित की जायेगी.
अशफाक रहमान की इस कोशिश का मकसद यह है कि मुसलमानों राजनीतिक चेतना विकसित करके उनके अंदर आत्मविश्वास बढ़ाया जाये. अशफाक रहमान का मानना है कि बिहार में 25 प्रतिश आबादी वाले मुस्लिम समाज को राजनीतिक पार्टियों द्वारा हाशिये पर रखा जाता है.जबिक इस समाज को सत्ता और राजनीति में सम्मानजनक हिस्सेदारी चाहिए.
इस बैठक में बिहार सरकार के पूर्व मंत्री मोनाजिर हसन, पूर्व मंत्री एजाजुल हक, पूर्व विधायक दाऊद अंसारी, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आजमी बारी, हम के नेता इरशाद खान, जेडीआर के शमीम आलम शफीकुर्रहमान वरिष्ठ पत्रकार सेराज अनवर, इमरान खान, इर्शादुल हक समेत 25 बुद्धिजीवियों ने हिस्सा लिया. इस बैठक में सर्वसम्मत राय बनी कि अपने अपने सियासी नजरिये के बावजूद मुस्लिम समाज के सियासी वजूद को मजबूती देने का वक्त आ गया है.
चार घंटे चली इस बैठक में एजाजुल हक, मोनाजिर हसन और दाऊद अंसारी समेत तमाम नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि मुसलमानों में भी एक मजबूत गठबंधन की जरूरत है. तमाम नेताओं ने इस कारवां को आगे बढ़ाने की जिमम्मेदारी अशफाक रहमान को सौंपी.
इस मीटिंग में यह तय किया गया कि अगले छह महीने तक विभिन्न विचारों के लोगों से बातचीत और मिलने का सिलसिला जारी रहेगा और उसके बाद एक नये एजेंडे के सात समाज में पहुंचा जाये.
इस अवसर पर अशफाक रहमान ने कहा कि मुसलमानों के नेताओं को राजनीतिक पार्टियां अपना गुलाम समझती हैं. ये सभी पार्टियां मुसलमानों को ठगती रही हैं. उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है कि सियासी आकाओं की जूतियां सीधी करने के बजाये अपना नेतृत्व मनवाया जाये.