1952 से अबतक बिहार विधानसभा के 15 बार चुनाव हुए और फिलहाल मुसलमानों के सबसे कम विधायक हैं. कैसे हो गया ये सब. जानना चाहते हैं तो पढ़िये;-
अजय कुमार, वरिष्ठ पत्रकार
बिहार की राजनीति में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व क्रमिक रूप से सिमटता जा रहा है जबकि उनकी आबादी 2011 की जनगणना के अनुसार 16.9 फीसदी है. आबादी की कसौटी पर विधानसभा में करीब 40 मुसलिम जन प्रतिनिधियों को पहुंचना चाहिए था. लेकिन 2010 के चुनाव में केवल 15 विधायक ही विधानसभा पहुंच सके.
विधानसभा की कुल सीटें हैं 243. लोकसभा की कुल 40 सीटों में से चार पर ही मुसलिम उम्मीदवार चुनाव जीत सके. वर्ष 2014 के दौरान भले ही राजनीति में बहुसंख्यकवाद प्रभावी होकर उभरा, पर उसके पहले के विधानसभा चुनाव में भी अल्पसंख्यकों की भागीदारी अच्छी नहीं रही. राज्य में 50 ऐसे विधानसभा क्षेत्र हैं जहां मुसलमानों के वोट निर्णायक हो सकते हैं. इन क्षेत्रों में मुसलमानों के वोट न्यूनतम 18 फीसदी और अधिकतम 75 फीसदी हैं. कोचाधामन विधानसभा क्षेत्र में 74 फीसदी मुसलिम आबादी है.
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सुनों राजनेताओं यह मुसलमानों की हिस्सेदारी का सवाल है
आजादी के बाद हुए पहले आम चुनाव में मुसलिम विधायकों की संख्या 24 थी. तब से लेकर 1977 तक मुसलिम विधायकों की संख्या 18 और 28 के बीच रही. इस दौरान विधानसभा के आठ चुनाव हुए. विधानसभा के नौवें चुनाव मुसलिम विधायकों की संख्या बढ़कर 34 पर पहुंच गयी थी. 1985 के चुनाव में यह रिकार्ड बना था.
दो ऐतिहासिक घटनायें
नब्बे के दशक से राजनीति का नया दौर शुरू हुआ. कांग्रेस से मुसलमान वोट छिटक गया और यह वोट जनता दल के साथ जुड़ गया. इसी दौर में दो बड़ी घटनाएं घटीं जिसने मुसलिम आबादी को गहरायी तक प्रभावित किया. 1989 में भागलपुर दंगा हुआ था, तब राज्य में कांग्रेस की हुकूमत थी. उसके बाद बाबरी मसजिद के गिराये जाने की घटना के बाद मुसलमानों का कांग्रेस से पूरी तरह मोहभंग हो गया.
अवधारणा बदली तो रुख भी बदला
इस उथल-पुथल भरे दौर में मुसलमानों को जनता दल ने अपनी ओर आकर्षित किया. बाद के दौर में यह वोट लालू प्रसाद के साथ जुड़ा रहा तो 2005 के बाद इसमें नया रूझान पैदा हुआ. तब लालू प्रसाद के खिलाफ नीतीश कुमार नयी राजनीतिक ताकत बनकर सामने आ चुके थे. हालांकि यह भी सच है कि बिहार की सियासत में कांग्रेस की ओर से सबसे ज्यादा मुसलिम विधायक बने. पर राजनीति की अवधारणा बदली तो तसवीर का रुख भी बदल गया.
राज्य विधानसभा के लिए अब तक हुए 15 चुनावों में 333 मुसलिम उम्मीदवार विधायक बने. इसमें 2005 के फरवरी में हुआ वह चुनाव भी शामिल है जब विधासभा का गठन नहीं हो पाया और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करना पड़ा था.
नीतीशकाल में सबसे कम मुसलमान
उस चुनाव में 24 मुसलिम उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी. लेकिन उसी साल अक्टूबर में हुए चुनाव में मुसलिम विधायकों की संख्या घटकर 16 हो गयी थी. 2010 के चुनाव में कुल 15 मुसलिम उम्मीदवार ही चुनाव जीत सके थे. संख्या के लिहाज से मुसलमान विधायकों की यह अब की सबसे कम तादाद है.
अगर संसदीय चुनाव की बात करें, तो बिहार से अब तक 59 सांसद निर्वाचित हुए हैं. इनमें सबसे ज्यादा तादाद छह सांसदों की रही है. 1985 और 1991 के मध्यावधि चुनाव में राज्य से छह-छह मुसलिम सांसद चुने गये थे. यह तादाद सबसे बड़ी है. जबकि सबसे कम, दो सांसद 1967 में निर्वाचित हुए थे.
कब, कितने मुसलिम विधायक
1952 -24
1957- 25
1962- 21
1967 -18
1969 -19
1972- 25
1977- 25
1980- 28
1985 -34
1990- 20
1995- 19
2000- 20
2005 -16
2010- 15
प्रभात खबर में प्रकाशित
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