जनता दल राष्ट्रवादी के राष्ट्रीय संयोजक अशफाक रहमान ने मुसलमानों की स्थिति पर गहरी चिंता जताते हुए कहा है कि इसमें बदलाव लाने के लिए खुद मुसलमानों को अपनी प्रकृति में व्यापक बदलाव लाने की जरूरत है.
रहमान ने कहा कि आज के मुसलमानों के अंदर राजनीतिक चेतना की कमी के साथ साथ शिक्षा में भारी कमी है जबकि उनके आंदर आपसी मेलजोल और सद्भाव की भी कमी है.
रहमान ने कहा कि आज अन्य समाज के लोग राजनीति में केंद्रीय भूमिका में हैं जबकि मुसलमान राजनीति के मुहरे बने हुए हैं. उन्होंने कहा कि भारत के 25 करोड़ मुसलमान वोट बैंक बने हुए हैं जबकि उन्हें वोट मैनेजर बनना चाहिए. अशफाक रहमान ने कहा कि मुसलमानों ने इस्लामी शिक्षा को भी भुला दिया है जिसके नतीजे में मुसलमानों में आपसी बिखराव की स्थिति है. मुसलमान मस्जिद के अंदर तो एक सफ में नमाज अदा कर लेते हैं लेकिन मस्जिद के बाहर आते ही वे अलग अलग गिरोहों और मसलकों में बंट जाते हैं.
उन्होंने कहा कि मसुलमान अपनी ही समस्याओं में घिरा है जिसके कारण वह एक सियासी गुलाम बन कर रह गया है. उन्होंने कहा कि जो समाज सियासी गुलाम बन कर रह जायेगा उसे नेतृत्व की उम्मीद नहीं की जा सकती है.
रहमान ने कहा कि आज सियासी भागीदारी में मुसलमानों के पीछे रहने की वजह यह है कि खुद मुस्लिम समाज एक साथ मिल कर मजबूत आवाज बनने की कोशिश नहीं करते.