महाराष्ट्र के लातूर में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर यूनुस शेख को दक्षिणपंथियों ने पहले तो पिटाई की और फिर जबरन उनके हाथ में भगवा झंडा दिया और पूरे गांव में परेड कराई। यूनुस अभी लातूर जिले के अस्पताल में दाखिल हैं, जहां उनका इलाज चल रहा है।
रशिम राजपूत, जनसत्ता/इंडियन एक्सप्रेस
सोमवार को ‘इंडियन एक्सप्रेस’ से बात करते हुए उन्होंने बताया कि 20 फरवरी को करीब 100 लोगों ने सुबह साढ़े आठ बजे पुलिस चौकी पर हमला किया था। यूनुस शेख ने बताया, ‘मैंने कंट्रोलरूम फोन करके स्थिति की जानकारी दे दी थी। मैंने रेनापुर पुलिस स्टेशन के इन्चार्ज से मदद मांगी थी, लेकिन हमले के करीब 2 घंटे बाद तक कोई नहीं आया और तब तक भीड़ मेरे साथ मारपीट कर चुकी थी। उन्होंने मेरी परेड भी कराई…. अपमानित किया।’ यूनुस शेख के परिवार ने इस बात की जांच कराने की मांग की है कि सिर्फ 15 किलोमीटर की दूरी होने के बाद पुलिस समय रहते क्यों नहीं पहुंची?
19 फरवरी को शिवाजी की जयंती मनाने के लिए लोग जमा हुए थे। वे भगवा झंडा फहरा रहे थे। पानगांव पुलिस चौकी पर तैनात एएसआई यूनुस शेख ने इन लोगों को रोका। उस वक्त उनके साथ हेड कॉन्स्टेबल आवसकर भी थे और अगले ही दिन भीड़ ने पुलिस चौकी पर हमला कर दिया । यूनुस शेख रेनापुर में पोस्टेड हैं, वारदात के दिन वह पानगांव चौकी में पर तैनात थे। मामले में 16 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें एक किशोर भी शामिल है। पुलिस का कहना है कि जिस संगठन ने हमला किया है, उसका नाम शिवाजी जयंती मंडल है। यह बहुत छोटा सा संगठन है
शुख ने सुनाई आपबीती
शेख ने बताया, ‘मैं उन लोगों से माफी मांगता रहा। बार-बार गुहार लगाता रहा कि मुझे जाने दो, लेकिन उन्होंने दया नहीं की। वे मुझे तब तक मारते रहे, जब तक मैं जमीन पर गिर नहीं गया। इसके बाद भीड़ मुझे उसी जगह पर ले गई, जहां पर मैंने उन्हें भगवा ध्वज लहराने से रोका था। उन्होंने मुझसे वही झंडा फहरवाया और ‘जय भवानी, जय शिवाजी’ के नारे भी लगवाए।’ वहीं, लातूर एसपी द्यानेश्वर चह्वाण ने बताया कि वारदात के दिन 8.30 से 8.45 के बीच शेख के दो फोन आए थे और पानगांव तक 9.50 तक पुलिस बल पहुंच चुका था। महाराष्ट्र के डीजीपी प्रवीण दीक्षित ने बताया कि मामले में औरंगाबाद आईजी से रिपोर्ट मांगी गई है।