मुस्लिम पर्सन ला बोर्ड ने मोदी सरकार की सरहद की सुरक्षा में नाकामी और आर्थिक मोर्चे पर विफलता पर कड़ा हमला करते हुए कहा है कि वह इन बातों से देश का ध्यान हटाने के लिए शरियत कानून और तलाक का मुद्दा उठा रही है.
गुरुवार को बोर्ड की घंटों चली बैठक के बाद दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए बोर्ड के महासचिव वली रहमानी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि देश की सरहद असुरक्षित है और अब तक अनेक आतंकी हमले हो चुके हैं दूसरी तरफ विकास के के वादे पर चुनी गयी यह सरकार हर मोर्चे पर नाकाम रही है.
इसलिए वह अपनी नाकामी छुपाने के लिए तीन तलाक और शरियत कानून में हस्तक्षेप का मुद्दा उठा रही है ताकि देश की नजर उसकी कमजोरियों से हट जाये. वली रहमानी ने कहा कि शरियत कानून पर देश के सारे मुसलमान एक हैं. उन्होंने कहा जिस कानून को संसद ने बनाया ही नहीं उसमें वह संशोधन की बात कैसे कर सकती है. उन्होंने कहा कि सरकार को अगर इस बारे में जरा भी शक है तो वह मुसलमानों के बीच इस मामले पर जनमत संग्रह करा के देख ले.
उधर इस मामले पर एमआईएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि एक सवे के मुताबिक इस देश में अब भी 84 प्रतिशत लड़कियों की शादी 18 वर्ष से कम आयु में हो जाती है जो गैरकानूनी है इस तरह के सैकड़ों मसले हैं जिस पर केंद्र सरकार चुप है लेकिन मुसलमानों से जुड़े मसले को अदालत में घसीट कर मोदी सरकार अपनी नाकामी छुपा कर इसे ज्वलंत मुद्दा बनाने में लगी है.