यह बिहार की राजनीति की दो मजबूत धाराओं से अलग एक तीसरी वैकल्पिक धारा स्थापित करने का प्रयास था. भाजपा और जद यू गठबंधनों से अलग राष्ट्रीय धर्मनिरपेक्ष गठबंधन.
नौकरशाही न्यूज
हाल ही में गठित राष्ट्रीय धर्मनिरपेक्ष गठबंधन ने शनिवार को पटना के कृष्ण मोमोरियल हॉल में सम्मेलन आयोजित किया. गठबंधन का भविष्य क्या होगा, इस पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी लेकिन गठबंधन के नेताओं के उत्साह और उनके अंदर उभरते आत्मविश्वास का आधार यह है कि वे चाहते हैं कि लालू-नीतीश और भाजपा गठबंधन से इतर भी लोग सोचते हैं और चाहते हैं कि एक तीसरी शक्ति विकल्प के रूप में लोगों के सामने हौ.
मुस्लिम होगा सीएम उम्मीदवार
गठबंधन के संयोजक सतीश प्रसाद हैं. सतीश वहीं नेता हैं जो कुछ दिनों तक बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल चुके हैं. सतीश ने इस सम्मेलन में जो सबसे बड़ी घोषणा की वह थी गठबंधन के मुख्यमंत्री के उम्मीदवार की. उन्होंने ऐलान किया उनके गठबंधन का सीएम उम्मीदवार मुसलमान होगा. सतीश एक अनुभवी नेता हैं जिन्हें मालूम है कि इस ऐलान से वह लालू नीतीश को डैमेज करने की कोशिश करेंगे.
लेकिन मुस्लिम सीएम उम्मीदवार पर मुगालते में आने वाले ऐसे लोग जो यह मानतें हैं कि उनका यह कदम भाजपा को मजबूत करेगा तो इसकी तैयारी भी गठबंधन ने पहले से कर रखी थी. गठबंधन के तमाम नेताओं ने जहां नीतीश लालू पर आक्रमण बोला वहीं भाजपा और मोदी सरकार पर आलोचनाओं की झड़ी लगा कर यह स्पष्ट कर दिया कि उनका भाजपा पर रत्ती बराबर भी विश्वास नहीं है.
पंद्रह पार्टियां
इस गठबंधन में कुल मिला कर 15 सियासी पार्टियां हैं. इनमें अशफाक रहमान के नेतृत्व वाला जनता दल राष्ट्रवादी सबसे सक्रिय और दमखम से भरा है. इसके अलावा सतीश प्रसाद का राष्ट्रीय समानता दल के अलावा राष्ट्रीय जनजन पार्टी,जनवादी पार्टी, भारतीय विकास पार्टी, बिहर निर्माण मोर्चा हिंदुस्तान विकास दल जैसी पार्टियां शामिल हैं.
अशफाक रहमान की अहम भूमिका
मुख्य रूप से सक्रिय अशफाक रहमान का जनता दल राष्ट्रवादी और मोती लाल शास्त्री के नेतृत्व वाले समानता दल ने इस गठबंधन को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. मोतिलाल शास्त्री और सतीश ने आम जन को आकर्षित करने वाली एक मांग रखी कि देश में वोटर पेंशन योजना शुरू की जाये और हर वोटर को तीन हजार रुपये माहाना पेंशन दी जाये. गठबंधन ने मुस्लिम सीएम बनाने का संकल्प लेने के पीछे के तर्क को रखते हुए कहा कि ऐसा करने से राज्य के मुसलमानों में आत्मविश्वस जगेगा. ध्यान रहे कि बिहार में वोटर समूह के लिहाज से मुसलमान 17 प्रतिशत आबादी के साथ सबसे आगे हैं.
इस गठबंधन को आकार देने में अशफाक रहमान ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है. उनकी पार्टी ने पिछले लोकसभा चुनाव में भी अपने उम्मीदवार खड़े किये थे. इस बार यह गठबंधन मिल कर सभी 243 सीटों से अपने उम्मीदवार खड़ेगा.
आने वाले दिनों में यह गठबंधन लोगों में कितना स्वीकार्य होगा या अन्य पार्टियों के पारम्परिक वोटरों को अपनी तरफ किस हद तक खीचेगा इसका आंकलन तो बाद में होगा. लेकिन इन छोटे-छोटे दलों ने इतना तो अपना इरादा जता ही दिया है कि वह एक तीसरी शक्ति के रूप में वोटर के सामने में खड़ा होना चाहते हैं.