पूर्व केंद्रीय मंत्री व मुंगेर से तीन बार लोकसभा के लिए निर्वाचित सांसद डीपी यादव आजीवन मूल्यों की राजनीति करते रहे। सत्ता के लिए दल-बदल के दौर में भी वे कांग्रेस से जुड़े रहे और पार्टी की नीतियों के प्रति प्रतिबद्ध रहे। पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने मंगलवार को पटना में स्व डीपी यादव की पहली पुण्यतिथि पर आयोजित सेमिनार में ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि बिहार के विकास के लिए वह सदैव चिंतित रहते थे। यही वजह थी कि बिहार के विकास से जुड़ी उन्होंने कई पुस्तकें भी लिखीं।
इस मौके पर पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि वह बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उनका समाज के साथ भी काफी लगाव था और सामाजिक कार्यक्रमों में अक्सर शामिल भी होते थे। विधान परिषद के पूर्व सदस्य व साहित्यकार प्रेमकुमार मणि ने कहा कि डीपी यादव की साहित्य में भी गहरी रुचि थी। वह एक अच्छे वक्ता के साथ एक अच्छे पाठक भी थे। जगजीवनराम संसदीय अध्ययन और शोध संस्थान के निदेशक व पत्रकार श्रीकांत ने कहा कि डीपी यादव मूलत: वैचारिक चिंतक थे और यह उनकी पुस्तकों में दिखता है। समाज में सबका विकास उनका लक्ष्य था।
इस कार्यक्रम में अध्यक्ष्ता सेवानिवृत्त आइएएस रामबहादुर प्रसाद यादव ने की। उन्होंने कहा कि डीपी यादव के व्यक्तित्व में विविधता समाहित थी। कार्यक्रम का संचालन श्रीकृष्ण परिषद के महासचिव केपी यादव ने किया। इस मौके आपका आइना पत्रिका के संपादक रामाशीष सिंह, अधिवक्ता अरुण कुशवाहा, सुरेश कुमार, पंचम लाल, डॉ डीएस दिनेश, रामचंद्र सिंह, विधायक कृष्णनंदन यादव, विनोद कुमार यादवेंदु, शरदेन्दु कुमार, रामचंद्र सिंह आदि ने अपने विचार रखे।