राजनीतिक दल हाईटेक हो रहे हैं। पार्टियों के सदस्‍यता अभियान में जमकर तकनीकी का सहारा लिया जा रहा है। सदस्‍यता अभियान ऑन लाइन चलाया जा रहा है और टॉल फ्री नंबर से किसी भी पार्टी की सदस्‍यता ली जा सकती है।PARLIAMENT_HOUSE_1574650f

नौकरशाही ब्‍यूरो

 

अब किसी भी पार्टी का सदस्‍य बनने के लिए पार्टी को जानना जरूरी नहीं है। न पार्टी की नीति को जानना जरूरी है और न पार्टी के कार्यक्रम को समझना जरूरी है। जरूरी है तो बस पार्टी का टॉलफ्री नंबर जानना, जिस पर कॉल करते ही आप कुछ सेकेंड में पार्टी के सदस्‍य बन जाते हैं। पहले भाजपा टॉलफ्री नंबर के सहारे सदस्‍य बना रही थी, अब कांग्रेस ने भी टॉलफ्री नंबर जारी किया है। लोजपा ने भी ऑन लाइन सदस्‍यता अभियान की शुरुआत की है। सदस्‍यता अभियान के लिए सबसे पहले भाजपा ने टॉलफ्री नंबर का इस्‍तेमाल किया था। भाजपा दावा कर रही है कि उसके सदस्‍यों की संख्‍या लगभग नौ करोड़ हो गयी है। ऐसे ही दावे कल कांग्रेस या दूसरी पार्टियां करेंगी। लेकिन यह भी कितनी विडंबना है कि नौ करोड़ सदस्‍य होने का दावा करने वाली भाजपा को दिल्‍ली विधान सभा चुनाव में ‘किराये’ पर मुख्‍यमंत्री उम्‍मीदवार बुलाना पड़ता है।

 

ऑन लाइन सदस्‍यता अभियान का सबसे बड़ा फायदा आंकड़ों के खेल में मिलता है। यहां पार्टी और सदस्‍य के बीच संबंध सिर्फ मोबाइल नंबर का होता है। पार्टी भी सदस्‍यों को गिनती है। अभियान ऑन लाइन होता है और कार्यकर्ता ‘ऑन एयर’ होते हैं। पार्टी और कार्यकर्ता के बीच न कोई भावनात्‍मक लगाव होता है और न नीतिगत जुगाड़ होता है। इस अभियान को नकारा नहीं कहा जा सकता है। इस अभियान से कम से कम सभी सदस्‍यों का मोबाइल नंबर का संकलन पार्टी के पास हो जाता है और बाद में उसी नंबर पर पार्टियां प्रचार अभियान चलाती हैं।

By Editor


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