मेडिकल प्रवेश परीक्षा पर केंद्र सरकार और न्यायपालिक का चल रहा टकराव शुक्रवार को अपने चरम पर पहुंच गया.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को मंत्रिमंडल के आर्डिनेंस से एक साल के लिए रोक दिया, जोसमें तमाम राज्यों और केंद्र के लिए एक ही प्रवेश परीक्षा के लिए कोर्ट ने फैसला सुनाया था.
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने राज्य बोर्डों को एक सामान मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं के दायरे से एक साल के लिए बाहर रखने संबंधी अध्यादेश को शुक्रवार को मंजूरी दे दी।
इस अध्यादेश की मदद से राज्यों के मेडिलकल परीक्षा बोर्ड राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (नीट) को लेकर दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले से एक साल तक बच सकेंगे।
गौरतलब है कि 9 मई को सुप्रीम कोर्ट ने इस वर्ष मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट को कहा था कि जो उम्मीदवार नीट 1 में बैठ चुके हैं वह 24 जुलाई को होने वाली नीट 2 में भी बैठ सकते हैं। लेकिन ऐसे में उनके फेज एक की परीक्षा निरस्त मानी जायेगी.
कोर्ट ने कहा कि विभिन्न राज्यों द्वरा किए जा रहे कामन एंट्रेंस टेस्ट, सेट को अनुमति नहीं दी जाएगी।
नीट सिर्फ एमबीबीएस/बीडीएस कोर्सों में दाखिले के लिए पात्रता प्रवेश परीक्षा कराने का प्रावधान करती है इसलिए हमें इस बात पर कोई दम नजर नहीं आता कि 28 अप्रैल के आदेश में कोई तब्दीली की जाए।
इस बीचदिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (नीट) को बंद करने के लिए अध्यादेश नहीं लाये जाने की मांग की है। केजरीवाल ने पीएम मोदी को एक पत्र लिखा है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के नीट परीक्षा को रद्द नहीं करने के आदेश का उल्लेख है।
उन्होंने कहा है कि नीट को बंद करने का अध्यादेश नहीं लाया जाना चाहिये। सभी छात्र चाहते हैं कि यह परीक्षा लागू हो। यदि इसे रद्द किया गया तो लोगों में यह संदेश जायेगा कि केंद्र सरकार कालाधन संचय करने वालों का साथ दे रही है।