आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने हरियाणा सरकार को चुनौती दी है कि उनके द्वारा रॉबर्ट बाड्रा- डीएलएफ भूखंड डील को रद्द करने के खिलाफ़ अदालत जा कर दिखाये.
इससे पहले हरियाणा के मुख्यमंत्री भोपेंदंर सिंह हुड्डा ने कहा था कि इस सौदे में अगर कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई तो उन लोगों को अदालत में घसीटा जायेगा जिन्होंने इस मामले को तूल दी है.
खेमका ने इस सबंध में चीफ सेक्रेट्री से मुलाक़ात के बाद कहा कि मैंने जो सौदा रद्द किया है, अगर यह किसी को उचित नहीं लगता है तो चाहे सरकार, डीएलएप या फिर तीसरी पार्टी चाहे तो हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है.
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इससे पहले हरियाणा के तत्कालीन निबंधन और चकबंदी महानिदेशक अशोक खेमका ने हरियाणा में रॉबर्ट बाड्रा द्वारा डीएलएफ को औने पौने में लगभग साढ़े तीन एकड़ भूखंड को बेचे जाने को रद्द कर दिया था.इतना ही नहीं खेमका ने इस सौदे की जांच करने का आदेश भी दिया था जिसके तुरत बाद खेमका को उनके पद से हटा दिया गया था.
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खेमका ने अपने अपने पर्यवयक्षण में पाया था कि पंचायत की जमीन को म्यूटेशन कराकर सोनिया गांधी के दामाद वाड्रा ने रियल स्टेट की दिग्गज कम्पनी को कौड़ियों के दाम बेच दिया था जिससे सरकार के करोड़ों रुपये के राजस्व की हानि हुई थी.
पंजीकरण महानिरीक्षक के पद पर अपने आखिरी दिन अशोक खेमका ने मानेसर शिकोहपुर में तीन एकड़ से अधिक क्षेत्रफल के उस भूखंड के म्यूटेशन (दाखिल खारिज) को रद्द करने के लिए एक आदेश भी जारी कर दिया था. यह भूखंड वाड्रा ने डीएलएफ को बेच दिया था.
1991 बैच के आईएएस अधिकारी खेमका ने अपने तबादले के फैसले पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि यह मनोबल को गिराने वाला और अमानवीय है. उन्होंने कहा था कि अगर ये समस्याएं खुल कर सामने लाई गईं होतीं तो संभवत: मेरे फैसले सामान्य और सही प्रतीत होते. लेकिन सारी चीजें अंदरखाने में और छुपा के की गईं.
इसबीच खेमका ने राज्य के मुख्यसचिव से मुलाकात की है लेकिन उन्होंने अपनी मुलाकात के बारे में मीडिया को कुछ भी बताने से इनकार कर दिया.
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