– 90 प्रतिशत तक जल चुका था नरेश, सुबह चार बजे पीएमसीएच में हो गयी मौत
– सूरज बैठा भी 55 प्रतिशत तक जल चुका है, सिर छोड़ बाकी शरीर का अधिकतर हिस्सा जल चुका है
– पीड़ित ने जिला प्रशासन व पुलिस अधिकारियों पर लगाया लापरवाही का आरोप
पटना.
मोतिहारी चीनी मिल के कर्मचारी आत्मदाह प्रकरण में प्रशासन पर काफी सवाल उठ रहे हैं. पीड़ित का कहना है की वे आत्मदाह कर रहे थे और प्रशासन तमाशा देख रहा था. आत्मदाह करने की सूचना भी उन्होंने लिखित में मोतिहारी प्रशासन को दी थी. जिला प्रशासन से लेकर पुलिस के जिम्मेवार अधिकारियों को पता था कि तय तारीख के अनुसार धरने पर बैठे चीनी मिल के कर्मचारी आत्मदाह करने जा रहे हैं. लेकिन उन्हें सारी बातें मज़ाक लगी. कर्मचारी की बातों को किसी ने गंभीरता से नहीं लिया. घटनास्थल पर पुलिस फोर्स लगा दी गयी थी, लेकिन जब हम लोग जल रहे थे, तब प्रशासन तमाशा देख रहा था. पीएमसीएच में भरती सूरज बैठा ने मोतिहारी के जिला प्रशासन की पोल खोल कर रख दी है. जिंदगी और मौत से जूझ रहे सूरज का इलाज पीएमसीएच के बर्न वार्ड में चल रहा है. डॉक्टरों का दावा है कि सूरज को बचा लिया जायेगा, लेकिन उसकी रिकवरी में काफी समय लगेगा. क्योंकि, वह 55 प्रतिशत तक जल चुका है. सूरज ने बताया कि अगर सरकार ध्यान नहीं देगी, तो वहां कई ऐसे मजदूर व कर्मचारी हैं, जो आत्मदाह कर लेंगे.
वेतन नहीं मिलने के कारण कर्ज में डूबा था नरेश, आज सुबह में हो गयी मौत.
आत्मदाह के दौरान पूरी तरह से झुलस चुके नरेश श्रीवास्तव की मंगलवार की सुबह चार बजे मौत हो गयी. इलाज कर रहे डॉक्टरों ने बताया कि नरेश 100 प्रतिशत तक चल चुका था. सिर से पांव तक वह चल चुका था. हालांकि, डॉक्टरों ने उसे काफी बचाने का प्रयास किया, लेकिन अंत में नरेश की मौत हो गयी. बॉडी देख पत्नी व भाई का बुरा हाल हो रहा था. मृतक की पत्नी ने बताया कि 132 महीने से वेतन भुगतान नहीं हो रहा था. कई माह से वेतन नहीं मिलने के चलते परिवार कर्ज में डूबा था, नतीजा मौत का सामना करना पड़ा. पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को शव सौंप दिया गया.
क्या है पूरा मामला?
गन्ना किसानों के बकाया भुगतान व बंद चीनी मिल चालू करने की मांग को लेकर मोतिहारी शुगर मिल लेबर यूनियन की ओर से सात अप्रैल से मिल गेट पर धरना चल रहा था. आर्थिक तंगी झेल रहे लोगों का कहना है कि वेतन देने के लिए कोर्ट का भी आदेश आ गया था, बावजूद मजदूरों की समस्या का समाधान नहीं किया जा रहा था. यही वजह है कि यूनियन के सदस्यों ने घोषणा की थी कि नौ मार्च की देर रात तक समझौता नहीं हुआ था, उसके बाद हम सब कभी भी आत्मदाह कर सकते हैं. आंदोलनकारियों का कहना है कि प्रशासनिक स्तर पर कोई सार्थक प्रयास नहीं किया गया, जिसका नतीजा हुआ कि मिल से जुड़े दो लोगों ने आत्मदाह करने की कोशिश की इसके बाद दोनों मरीज को पीएमसीएच लाया गया, जहां एक की मौत हो गयी व एक बुरी तरह से जुलस गया है, जिसका इलाज चल रहा है.