बिहार की बहुप्रतीक्षित मोतिहारी में केंद्रीय विश्वविद्यालय को केंद्रीय कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दे ही है। इसका नाम महात्मा गांधी के नाम पर होगा। सरकार ने इसके लिए 240 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। इससे संबंधित विधेयक को संसद के चालू सत्र में ही पारित हो जाने की संभावना है। अब प्रदेश में दो केंद्रीय विश्वविद्यालय हो जायेंगे। केंद्रीय विश्वविद्यालय गया पहले से ही चल रहा है।
पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने गया व मोतिहारी में दो केंद्रीय विवि का प्रस्ताव लाया था। गया में केंद्रीय विवि कार्यरत है, जबकि मोतिहारी में केंद्रीय विवि के लिए तत्कालीन केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी तो मिल गयी थी, लेकिन लोकसभा से इसे पारित नहीं कराया गया। इसके कारण यह योजना लैप्स कर गयी। केंद्र में नयी सरकार की गठन के बाद एक बार फिर मोतिहारी में केंद्रीय विवि के गठन का प्रस्ताव लाया गया। सरकार के इस फैलस के लिए मोतिहारी के सांसद और केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया है। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्याल के बनने से बिहार के छात्रों के स्तरीय शिक्षा मिल सकेगी और बढ़ती प्रतिस्पर्धा की चुनौती का मुकाबला कर सकेंगे।
उल्लेखनीय है कि पूर्ववर्ती केंद्र सरकार ने पहले मोतिहारी में केंद्रीय विश्वविद्यालय खोलने की मंजूरी दी थी। इस बीच तत्कालीन शिक्षा मंत्री कपिल सिब्बल ने गया को इसके लिए उपयुक्त जगह बताकर विवाद खड़ा कर दिया था। बाद में विवाद काफी आगे बढ़ गया और आखिरकार केंद्र को मोतिहारी के साथ गया में भी केंद्रीय विश्वविद्यालय खोलने के तैयार होना पड़ा। कानूनी प्रक्रियाओं में मोतिहारी का मामला उलझ गया था, जबकि गया में विश्वविद्यालय संचालित हो रहा है। मोतिहारी में जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया अभी चल रही है। बताया जा रहा है कि मोतिहारी मुख्यालय से तीन किलोमीटर दूर फुरसतपुर में जमीन चिह्नित की गयी है।