शबनम हाशमी मोदी के ज्ञान और उनकी अवधारणा पर टिप्पणी करते हुए उनकी सोच पर सवाल खड़े कर रही हैं.
कम पढ़े लिखे गरीब चाय बिक्रेता से लेकर प्रधानमन्त्री के शिखर तक का सफर तय करने वाले श्री नरेंद्र मोदी से किसी भी आम व्यक्ति की सहानुभूति होना लाजिमी है. बहरहाल, इस कुर्सी पर बैठकर ज्ञान-विज्ञान के बारे में उपदेश देने और आधुनिक विज्ञान की जड़ें ‘महाभारत, वेद-पुराण-उपनिषद, गीता-रामायण’ में ढूढ़ने से लेकर कर्ण को उसकी मां की गोद से पैदा नहीं होने के तर्क को जेनेटिक साइंस का कमाल बताने और गणेश को उसके कंधे पर हाथी का सर रखने के ‘प्लास्टिक सर्जरी’ का शुरूआत बताना श्री मोदी की मूर्खता को ही जाहिर करता है.
गणेश के सर पर हाथी का सर
हमारे जाने-माने वैज्ञानिक प्रॉफ़ेसर यशपाल ने बिलकुल ठीक ही कहा है कि “गणित, ऑलजेब्रा और खगोल विद्या के बारे में यदि कोई दावा करे तो बात समझ में आती है लेकिन जेनेटिक विज्ञान और प्लास्टिक सर्जरी के बारे में उनके (श्री मोदी) के दावों का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि श्रीगणेश के शरीर पर हाथी का सर प्लास्टिक सर्जरी के माध्यम से लगाया गया होगा.” शायद नरेंद्र मोदी भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने बिना किसी वैज्ञानिक आधार के ये बात कही है.
ऑल इंडिया फ़ोरम फ़ॉर राइट टू एजुकेशन की सह-संस्थापक प्रोफ़ेसर मधु प्रसाद ने प्रधानमंत्री के बयान को संविधान के अनुच्छेद 51ए का उल्लंघन बताया जिसमें कहा गया है कि वैज्ञानिक विचारधारा रखना हर भारतीय नागरिक का मूलभूत कर्तव्य है.प्रॉफ़ेसर मधु प्रसाद ने ये भी कहा कि ऐसी धारणाओं को अगर स्कूल की किताबों में शामिल करवाया गया तो ये भारतीय शिक्षा प्रणाली के लिए एक ख़तरनाक चीज़ साबित हो सकती है. प्रोफ़ेसर मधु प्रसाद ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा: “एक तरफ़ तो प्रधानमंत्री नई तकनीक की बात करते हैं और कहते हैं कि भारत को बुलेट ट्रेन जैसी नई तकनीकों की ज़रूरत है और दूसरी ओर वे मानते हैं कि वेदों में विज्ञान बसा है. तो अगर ऐसा है तो फिर वे क्यों पश्चिमी देशों से नई तकनीक की दर्ख़ास्त करते हैं? अगर यही बात राहुल गांधी या मुलायम सिंह ने कही होती तो मीडिया और वैज्ञानिकों ने बवाल कर दिया होता, लेकिन मोदी के ख़िलाफ़ लोग आवाज़ उठाने से डरते हैं.”
भारत में प्राचीन दौर में विज्ञान का कितना महत्व था, ये अब तक किसी ने भी साबित नहीं किया है. अलबत्ता, हिंदुत्व-साम्प्रदायिक गिरोह ने कौरव के सौ भाई को उसकी एक मां गांधारी से पैदा करवाने और अयोध्या के (राजपूत/ठाकुर) राजा राम को इस संघी गिरोह ने पहला हवाई जहाज़ उड़ाने वाला पायलट घोषित करते हुए ‘स्टेम सेल तकनीक’ के आविष्कार को अब अपनी झोली में जबरदस्ती डाल लिया है. शुक्र है कि श्री मोदी ने हाल ही में प्रक्षेपित “मंगल-ग्रह यान’ पर अपना अभी तक दावा नहीं ठोका है….
मीडिया और अंग्रेजी-संस्कृत भाषी बुद्धिजीवी मौन क्यों?
बड़े ताज्जुब की बात है कि जहां एक तरफ- ‘ एक करोड़ चालीस लाख कुपोषित बच्चे हर साल दम तोड़ने को मजबूर हो रहे है. वहीँ दूसरी तरफ, भारत की नयी (विक्टोरिया) ‘हिंदुत्व महारानी’ नीता अम्बानी (सोने से गढ़ी) चालीस लाख की साड़ी पहन कर सिर्फ दो सौ (२००) करोड़ रूपये खर्च कर बड़े ही सादे तरीके से अपना जन्म-दिन (यानि कि बर्थ-डे) बनारस में आकर मनाया.
अम्बानी की “साम्प्रदायिक मोदी सरकार” में तकरीबन दो सौ लोकसभा सांसद जो संगीन अपराधी, दंगाई, बलात्कारी, माफिया सरगना है, और तकरीबन चार सौ से भी ज्यादा भ्रष्ट करोड़पतियों-अरबपतियों से लवालव-खचाखच भरे सांसदों का जमावड़ा संसद में मौजूद है, उसके खिलाफ जनता को अब उठ खड़ा होना चाहिए.
राम सिंह मेमोरियल ट्रस्ट (रसमत)