क्या सचमुच भारत के नौकरशाह कई बार फैसले लेने में डरते हैं? क्या उन्हें कई बार इस बात की आशंका होती है कि उनपर कई बार गलत फैसले लेने का दबाव तो नहीं रहता?

देश के टॉप नौकरशाहों के साथ मोदी
देश के टॉप नौकरशाहों के साथ मोदी

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी निश्चित तौर पर सरकार चलाने के अपने लगभग डेढ़ दशक के अनुभवों से यह जानते हैं कि नौकरशाह कई बार फैसले में आशंकित रहते हैं. देश के 72 विभागों के टॉप नौकरशाहों के साथ हुई बैठक में नरेंद्र मोदी ने इन्हीं बातों के मद्देनजर स्पष्ट कहा है कि उन्हें डरने की कतई जरूरत नहीं है.

उन्होंने स्पष्ट तौर पर नौकरशाहों को आश्वासन दिया कि दुर्भावनापूर्ण तरीके से उनके खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं होने दी जायगी.

 

प्रधानमंत्री ने लगभग ढाई घंटे चली बैठक में सचिवों के सुझाव और टिप्‍पणियां को ध्‍यान से सुना। श्री मोदी ने सचिवों की उन बातों को गौर से सुना जिनमें उन्‍होंने इस बात पर चिंता प्रकट की थी कि हालात के कारण उनकी पूरी क्षमता का उपयोग नहीं हो पा रहा है। हालांकि श्री मोदी ने देश के बेहतर भविष्‍य के निर्माण के लिए सचिवों की प्रतिबद्धता और दक्षता में पूर्ण विश्‍वास प्रकट किया।

श्री मोदी ने वरिष्‍ठ नौकरशाहों से कहा कि प्रशासनिक नियमों और प्रक्रियाओं को सरल बनाया जाए ताकि वे जनता के अनुकूल हो सकें। उन्‍होंने समूह भावना की आवश्‍यकता पर बल दिया और सचिवों से अनुरोध किया कि वे अपने समूह के नेता बने। श्री मोदी ने अधिकारियों को निर्णय लेने के लिए प्रोत्‍साहित किया और आश्‍वासन दिया कि वे उनके साथ हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि शासन की प्रक्रिया में विचारों को संस्‍थाओं में बदला जाना चाहिए क्‍योंकि व्‍यक्तियों की तुलना में संस्‍थाएं लंबे समय तक रहतीं हैं, हालांकि उन्‍होंने स्‍पष्‍ट किया कि संभव है कुछ नियम और प्रक्रियाएं पुरानी हो गई हों तथा शासन की प्रक्रिया सुगम बनाने के बजाय उनसे भ्रम पैदा हो रहा हो। प्रधानमंत्री ने ऐसे पुरातन नियमों और प्रक्रियाओं की पहचान करने तथा उन्‍हें इस्‍तेमाल से बाहर करने की आवश्‍यकता पर बल दिया। उन्‍होंने कहा कि सरकार की शासन प्रक्रिया कार्यालयों की सफाई और कार्यस्‍थलों के सुधार से शुरू होनी चाहिए जिसके फलस्‍वरूप खुद-ब-खुद बेहतर कार्य संस्‍कृति पैदा होगी और नागरिकों को प्रभावी सेवाएं मिलेंगी।

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प्रधानमंत्री ने प्रशासन में अधिक दक्षता लाने और उसे कारगर बनाने के लिए प्रौद्योगिकी के इस्‍तेमाल की आवश्‍यकता पर बल दिया। उन्‍होंने कहा कि लोकतंत्र में नागरिकों की शिकायतों का समाधान बहुत महत्‍वपूर्ण है तथा इस संबंध में सूचना प्रौद्योगिकी बहुत मदद कर सकती है। उन्‍होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के इस्‍तेमाल तथा विभागों के बीच बेहतर समझ के जरिए प्रशासनिक और योजनाबद्ध रूपांतरण संभव है। श्री मोदी ने कहा कि सिर्फ सामूहिक कार्रवाई के जरिए ही तेजी से परिणाम हासिल किए जा सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि वे उनके कार्यों पर ध्‍यान देने के लिए हमेशा तैयार रहेंगे। वरिष्‍ठ नौकरशाहों ने इस बात से सहमति प्रकट करते हुए जवाबदेही बढ़ाने का स्‍वागत किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी अधिकारी उनसे संपर्क कर सकते हैं। उन्‍होंने सबको विचारों और सुझावों के साथ आने के लिए प्रोत्‍साहित किया।

By Editor


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