नरेंद्र मोदी ने जहां मुजफ्फरपुर रैली में दलित-पिछड़ा कार्ड जम कर खेला वहीं पाटी के अगड़ी जाति के पांच कद्दावर नेताओं को मंच पर भी नहीं बुलाया गया.
पूर्व मंत्री गिरिराज सिंह, अश्विनी चौबे, सांसद कीर्ति झा आजाद, डॉ सीपी ठाकुर और शत्रुघ्न सिन्हा के अलावा चंद्रमोहन राय व अमरेंद्र प्रताप सिंह को भी मंच पर आनेके लिए आमंत्रित नहीं किया गया.
ये पांच नेता कोई आम नहीं बल्कि बिहार भाजपा के, नरेंद्र मोदी के सबसे बड़े समर्थक रहे हैं.इसके अलावा चंद्रमोहन राय और अमरेंद्र प्रताप का कद भी कम ऊंचा नहीं है. बड़े नेताओं में तो अश्विनी चौबे और गिरिराज सिंह तबसे मोदी के समर्थक रहे हैं जब भाजपा नीतीश सरकार का हिस्सा थी.
इस मामले में सांसद डॉ सीपी ठाकुर ने कहा कि हम तो नरेंद्र मोदी के कट्टर समर्थक रहे हैं और रहेंगे. उनका बिहार में स्वागत है. मुजफ्फरपुर रैली में नहीं जाना प्रदेश भाजपा की सिस्टम की गड़बड़ी को लेकर है. दरभंगा के सांसद कीर्ति झा आजाद ने कहा कि रैली को लेकर उन्हें पूछना तक प्रदेश संगठन ने जरूरी नहीं समझा.मैं तो चुनावी तैयारियों में व्यस्त हूं. झंडा, बैनर, पोस्टर और स्लोगन बनवा रहा हूं. मैं तो सीधी बात करता हूं. बिहार भाजपा के मुखिया ने मुझे क्यों नहीं पूछा?
इसी तरह के विचार पूर्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता चंद्रमोहन राय ने भी रखी. राय ने कहा कि मैं बीमार हूं अगर स्वस्थ भी रहता, तो नहीं जाता.
इस मामले से चंद्र मोहन राय इतने नाराज हैं कि उन्होंन अध्यक्ष राजनाथ सिंह को चिट्ठी भई लिख दी है. सियासी पंडितों का कहना है कि भाजपा के नेता सुशील मोदी, नंदकिशोर यादव ने जिस तरह से चुन चुन कर अगड़ी जाति के नेताओं की अनदेखी की है उसका भारी नुकसान भाजपा को उठाना पड़ सकता है.
इस संबंध में पत्रकार अमित कुमार कहते हैं कि नरेंद्र मोदी के लिए सबकुछ कुर्बान करने का माद्दा गिररिज सिंह ने तब दिखाया था जब वह नीतीश के मंत्री थे. वह बीजेपी के पहले नेता हैं जिन्होंने नीतीश के लाइन के विरुद्ध खुल कर मोदी के समर्थन में आये. अमित कहते हैं- वोकल तबका को भाजपा ने जिस तरह से इग्नोर किया है वह भाजपा को भारी पड़ सकता है.