मोदी सरकार के दो वर्ष का आंकलन सब अपने तरीके से कर रहे हैं. आकलन के इस ऐंगल का विश्लेषण भी जरूरी है.
फर्रह शाकेब
मोदी, परिवर्तन और अच्छे दिन के नाम पर देश को छल कर इस गिरोह ने सत्ता पर आधिपत्य स्थापित किया है और पहले दिन से ही अपने विध्वंसक एजेंडे को किसी की नाराज़गी, किसी के विरोध और लोकतंत्र में विपक्ष की अहमियत को पूर्णतः नकारते हुए धरातल पर उतारने की दिशा में हर सम्भव प्रयास शुरू कर दिए गए जिसकी शुरुआत इतिहास परिषद अध्यक्ष पद पर वाई एल सुब्बाराव को बिठा कर की गयी है और उसके बाद देश के तमाम नामचीन विश्विद्यालयों के काम काज में मंत्रालय का सीधा हस्तक्षेप और, पाठ्यक्रमों में परिवरतन आदि इसी की एक कड़ी मात्र हैं.
संघ का अपना एजेंडा
सड़कों, शहरों और हवाई अड्डों का नाम किसी मुसलमान, किसी स्वंत्रन्ता सेनानी और ऐतिहासिक चरित्र के नाम से मिटाकर उसे अपने मनगढ़त इतिहास के आधार पर और पसन्दीदा चरित्रों के नाम पर पुनः नाम करण करना संघ के उसी विध्वंसक एजेंडे का एक हिस्सा है.
अब से कुछ दिन पहले चंडीगढ़ हवाई अड्डे का नाम शहीद भगत सिंह के नाम से बदलकर संघ के स्वघोषित नायक मंगल सेन के नाम पर रखने का शोशा छोड़ा गया फिर उसके बाद औरंगज़ेब रोड को अबुल कलाम के नाम पर किया गया और अब ताज़ा विवाद ये है कि विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह ने दिल्ली के लुटियन्स ज़ोन स्थित अकबर रोड का नाम बदल कर महाराणा प्रताप के नाम से करने की इच्छा जताई है और अपनी मांग के समर्थन में वेंखैय्या नायडू कैबिनेट मंत्री ,शहरी विकास मंत्रालय को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि सच्चे धर्मनिरपेक्ष और जनप्रिय राजपूत राजा महाराणा प्रताप ने कई पीढियों को प्रोत्साहित किया लेकिन उन्हें उचित सम्मान नहीं दिया गया है. वास्तव में ये महाराणा प्रताप से श्रद्धा और सम्मान कम मुग़ल शासकों से नफरत और द्वेष की बुनियाद गई मांग अधिक है क्यूंकि संघ और बीजेपी का इतिहास इसी नफरत की नीवं पर खड़ा होता है।
उन्हें अकबर की सहिष्णुता भी रास नहीं आती
मैं माननीय मंत्री महोदय से ये पूछना चाहता हूँ के आप और आपकी पार्टी किन किन नाम को बदलेंगे और कब तक बदलते रहेंगे क्यूंकि अंग्रेजी दैनिक इंडियन एक्सप्रेस ने अपने 19 मई के अंक में ये ख़ुलासा किया है के देश के छह लाख शहर गावं कस्बे और देहातों के तक़रीबन 704 ऐसे हैं जो लगभग छ मुग़ल शासकों के नाम से ही हैं.और अगर मुसलामानों से नफ़रत और मुग़ल शासकों के नाम से चिन्हित सड़कों इमारतों गावं देहातों क़स्बों का नाम बदल बदल कर ही देश हित में कुछ हो सकता है तो फिर वो और उनकी पार्टी और सरकार मुगल शासकों द्वारा निर्मित एतिहासिक महत्व के इमारतों का क्या करेंगे ??
क्या अकबर की सहिष्णुता को बंगाल की खाड़ी में डूबा दिया जाएगा ???
क्या ताजमहल लाल किला क़ुतुब मीनार इत्यादि को माउन्ट एवरेस्ट से धक्का दे कर ध्वस्त कर उनके नाम ओ निशां मिटा दिए जाएंगे ???
क्या मुगलों से पहले मुस्लिम शासक शेर शाह सूरी के द्वारा बनवाई सड़क ग्रैंड ट्रंक रोड को उखाड़ कर कोई नई राष्ट्रिय राजमार्ग निर्मित की जायेगी ???
क्या आपको देश की जनता ने इसी के लिए सत्ता सौंपी है ??
इतिहास से छेड़छाड़
संघ परिवार का दिमाग चूँकि साम्प्रदायिक द्वेष नफरत पर आधारित मनगढ़त झूठे इतिहास की सड़क पर दौड़ता है इसलिए वो हर उस नाम को मिटा देना चाहता है जो किसी धर्मनिरपेक्ष मुसलमान से जुड़ा हैऔर ये क़बीला इसी नफ़रत के कारण अहमदाबाद का नाम कर्णावती ,हैदराबाद का भाग्य नगर और औरंगाबाद का नाम संभाजी नगर करने की फ़िराक में है.
संघ परिवार को लग रहा है के ये अभी ही सम्भव है क्यूंकि अभी उसके पास तीन साल का समय और है। महाराणा प्रताप के संबंध में इतना तो इस देश का बच्चा बच्चा भी जानता है की उनका दिल्ली से कोई ताल्लुक़ नहीं था बल्कि वो चित्तौड़ के राजा हुआ करते थे और अपनी रियासत के विकास और सुरक्षा के लिए मुग़ल शासक अकबर से हमेशा जुड़े रहे जबकि संघी इतिहास ये कहता है की महाराणा प्रताप ने साम्प्रदायिकता के आधार पर अकबर से कई युद्ध किये थे जबकि सच्चाई ये है महाराणा प्रताप का साथ देने के लिए अफ़ग़ान सैनिकों की एक टुकड़ी हाकिम खान सूरी के नेतृत्व में मौजूद थी और अकबर की सेना में मान सिंह जैसे राजस्थानी योद्धा शामिल थे.
अब तक बीजेपी की सत्ता में जो मुद्दे रहे हैं उनमें लव जेहाद , बीफ, योगा , घर वापसी , इत्यादि मुख्य हैं जिनका कोई अस्तित्व नहीं बल्कि जनता को उलझाए रखने के लिए नागपुर और झंडेवालान से निर्गत मुद्दे हैं ताकि दूसरी तरफ हिन्दू राष्ट्र निर्माण वाला एजेंडा थोपने की प्रक्रिया सरकारी संरक्षण में चलती रहे जिसका परिणाम विध्वंसक होना ही है.