भ्रष्टाचार को कैंसर से भी खतरनाक मानने वाली मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग छेड़ने वाले ऑफिसर को बिना कारण बताये हटा दिया है. यह वही ऑफिसर हैं जिनकी ईमानदारी की कसमें केंद्र सरकार भी खाती है.

संजीव चतुर्वेदी:ईमानदारी रास न आयी
संजीव चतुर्वेदी:ईमानदारी रास न आयी

 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने एम्स के चीफ विजिलेंस ऑफिसर संजीव चतुर्वेदी को पद से हटने के आदेश दिया है.. चतुर्वेदी वही ऑफिसर हैं जिन्होंने एम्स में भ्रष्टाचार के कई मामलों को उजागर किया था.

मई में सरकार का आदेश आया था कि चतुर्वेदी का तबादला बिना पीएमओ की रजामंदी के नहीं हो सकता है. लेकिन हर्षवर्धन ने पीएमओ के आदेश का भी उल्लंघन करते हुए उन्हें पद से हटा दिया.

मालूम हो कि यह वही ऑफिसर हैं जिनकी उमदा सेवा के लिए केंद्र सरकार ने ‘आउटस्टैंडिंग’ ऑफिसर तक कहा.  चतुर्वेदी की ईमानदारी का गुणगान खुद केंद्र सरकार कर चुकी है.इतना ही नहीं केंद्र सरकार के एक ज्वाइंट सेक्रेटरी लेवल के ऑफिसर ने अपने नोट में चतुर्वेदी के बारे में लिखा कि  वह एक ईमानदार ऑफिसर हैं जो भ्रष्टाचार के खिलाफ शानदार कार्रवाई के लिए जाने जाते हैं.

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक आदेश के अनुसार, स्वास्थ्य मंत्री की मंजूरी के साथ एम्स, नई दिल्ली के सीवीओ का कामकाज तत्काल प्रभाव से तीन महीने की अवधि के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव और सीवीओ को सौंपने का फैसला किया गया है. चतुर्वेदी हरियाणा कैडर के 2002 बैच के वन सेवा के अधिकारी हैं.

चतुर्वेदी का कार्यकाल चार साल का होता लेकिन उसके पहले ही उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. मालूम हो कि चतुर्वेदी ने हरियाणा की हुडा सरकार में भी भ्रष्टाचार के खिलाफ जिहाद छेड़ रखा. बाद में उन्हें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर  भेजा गया और एम्स में आने के बाद उन्होंने दवा खरीद के कई घोटालों को बेनकाब किया.

हालांकि चतुर्वेदी का कार्यकाल जून, 2016 में पूरा होता. एनडीटीवी के अनुसार संजीव चतुर्वेदी ने खुद को हटाए जाने की सीबीआई जांच की मांग की है.

 

By Editor

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