आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने सारी मर्यादाओं को तार-तार करते हुए गैरजिम्मेदार बयान दे डाला है. उन्होंने देवघर में कहा कि राम मंदिर का विरोध मुसलमान नहीं, बल्कि राजनीति करने वाले और गुंडागर्दी करने वाले कर रहे हैं.
भागवत ने कहा कि मुस्लिम और ईसाई राम मंदिर के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि इनके नाम पर राजनीति करने वाले कट्टरपंथी और गुंडागर्दी करने वाले राम मंदिर नहीं बनने देना चाहते हैं.
भागवत ने सिर्फ इतना ही नहीं कहा कि मुस्लिम और ईसाई राम मंदिर के खिलाफ नहीं है, बल्कि वो यहां तक कह गए कि राम मंदिर का मुद्दा कोर्ट से हल नहीं हो सकता.
हालांकि पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ‘’इस तरह के संवेदनशील मसलों का हल आपसी सहमति से निकाला जाना बेहतर है. दोनों पक्षों को आपस में हल निकालने की कोशिश करनी चाहिए. अगर ऐसा हो सके तो कोर्ट मध्यस्थता कर सकता है. अगर दोनों पक्ष बातचीत के लिए तैयार हों तो किसी जज को मध्यस्थता का ज़िम्मा दे सकते हैं. चीफ जस्टिस खेहर ने कहा था कि मैं खुद भी इस काम के लिए तैयार हूं.’’
गौरतलब है कि 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद देश भर में बड़े पैमाने पर साम्प्रदायिक दंगे हुए थे. इस मामले में लाल कृष्ण आडवाणी समेत भाजपा के अनेक नेताओं को मस्जिद ध्वंस करने की साजिश करने का आरोप लगाया गया था. इस मामले पर अभी अदालत में सुनाई चल रही है