इतिहासकार इरफान हबीब और रिजवान कैसर ने देश के प्रथम एजुकेशन मिनिस्टर मौलाना आजाद को भारतीय शिक्षा व्यवस्था सृजनकर्ता बताते हुए कहा कि जहां एक तरफ आईआईटी दीगर उच्च तकनीकी संस्थान का कंसेप्ट भारत को उन्होंने ही दिया वहीं साहित्य व ललित कला अकादमियों की स्थापना का श्रेय भी उन्हीं को जाता है.
इन इतिहासकारों ने कहा कि भारत की विविधता भरी विरासत को संजोने में मौलाना आजाद ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. ये दोनों इतिहासकार बिहार प्रदेश कांग्रेस और ताबीर फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित मौलाना आजाद की जयंती के अवसर पर बोल रहे थे. इरफान हबीब ने कहा कि मौलाना आजाद ने राष्ट्रवाद को जो सिद्धांत गढ़ा उसी सिद्धांत के कारण हमारा देश आज तक एकता के सूत्र में बंधा है. हबीब ने हालांकि कहा कि पिछले कुछ वर्षों में देश में विभाजनकारी शक्तियों ने हमारी एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है.
इस अवसर पर इतिहासकार रिजवान कैसर ने कहा कि मौलाना आजाद, देश के विभाजन से पहले ही समझ चुके थे कि अगर देश विभाजित हो गया तो भारतीय मुसलमानों को इसकी कीमत चुकानी पडेगी. उन्होंने आजाद को एक दूरद्रष्टा बताते हुए कहा कि आज उनकी बातें सच साबित हो रही हैं. आज जब नफरत का माहौल सारे देश में बढ़ा है तो मुसलमानों के सामने गंभीर चुनौतियां खड़ी हो गयी हैं.
समारोह को संबोधित करते हुए कांग्रेस के अनालिटिक्स डिपार्टमेंट के कोआर्डिनेटर शास्वत गौतम ने कहा कि आज के हालात में मौलाना आजाद की राजनीतिक व सामाजिक फिलासफी हमारे लिए प्रेरणास्रोत है. गौतम ने मौलाना आजाद की महानता का उल्लेख करते हुए जवाहर लालू नेहरू के कथन को उद्धत करते हुए कहा कि नेहरू ने कहा था कि ,मौलाना के चले जाने के बाद ऐसा नहीं है कि महान लोग इस धरती पर पैदा नहीं होंगे, जरूर होंगे पर मैं इतना दावे से कह सकता हूं कि मौलाना आजाद की कद का और उन जैसा महान व्यक्तित्व अब नहीं आने वाला.
इस कार्यक्रम का आयोजन कांग्रेस के विधायक शकील खान की पहल पर हुआ. प्रोफेस डेजी नारायण ने इसका संचालन किया जबकि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक मदन मोहन झा ने सदारत की. कांग्रेस विधायक बंटी चौधरी ने धन्यवाद व्यक्त किया. समारोह में कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के मिन्नत रहमानी भी मौजूद थे.