किसी नौकरशाह के तबादले का विश्व रिकार्ड कोई हो तो इसमें अशोक खेमका का नाम ही आना चाहिए.21 साल में 44 ट्रांस्फर.जानिए क्या है वजह.
देश के सबसे ताकतवर गांधी परिवार तक को इन्होंने ही चुनौति दी है.
खेमका को हरियाणा सरकार ने आज फिर ट्रांस्फर कर दिया. खेमका हरियाणा बीज निगम के प्रबंध निदेशक थे और पिछले 24 नवम्बर को ही इस पद पर तैनात किये गये थे. उन्हें हरियाणा अर्काइव का सचिव बनाया गया है.
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कहा जा रहा है कि इस बार उन्होंने बीज निगम के कुछ कर्मियों के खिलाफ अनशासनात्मक कार्रवाई करने के मामले को लेकर अपने बॉस ही भिड़ गये थे.
अशोक खेमका देश के चुनिंनदा आईएएस अधिकारियों में से एक हैं जिनकी ईमानदारी और कर्तब्य के प्रति निष्ठा के चर्चे होते रहते हैं. और कहा जाता है कि उनकी ईमानदारी ही उनके ट्रांस्फर की वजह बनती है.पिछले साल अक्टूबर में वह हरियाणा के चकबंदी महानिदेशक थे. और तब उन्होंने देश के सबसे शक्तिशाली परिवार यानी सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाडरा को कटघरे में खड़ा कर दिया था.
हरियाणा के तत्कालीन चकबंदी महानिदेशक अशोक खेमका ने 12 अक्टूबर को वॉड्रा के सभी जमीन सौदों की पड़ताल करने का आदेश दिया था और 15 अक्टूबर को वॉड्रा की कंपनी की ओर से डीएलएफ को बेची गई साढ़े तीन एकड़ जमीन के सौदे को गैरकानूनी बता कर रद्द कर दिया था. इसके बाद हरियाणा सरकार ने खेमका को आनन फानन में उनके पद से हटा दिया था. फिर पूरे देश में कोहरमा मच गया था.
यह जमीन हरियाणा सरकार ने वॉड्रा को औने पौने में दी थी, जिसे उन्होंने करोड़ों का लाभ लेकर डीएलएफ कम्पनी को बेच दी थी.
खेमका एक ऐसे अधिकारी हैं जिन्हें अपने पद पर कहीं भी 9 महीने भी नहीं रहने दिया गया.
हद तो यह है कि दर्जनों पदों से वह मात्र दो से तीन महीने में तबादला कर दिये गये हैं. वैसे पिछले 20 सालों में खेमका कहीं भी 9 महीने से अधिक नहीं रहने दिये गये हैं.
कंसोलिडेशन्स ऑफ़ होल्डिंग्स ऐंड लैंड रिकॉर्ड्स के महानिदेशक पद से महज 51 दिनों में हटा दिये गये. उन्होंने इस छोटे से अर्से में भूखंडों के खरीद फरोख्त में सैकड़ो करोड़ रुपये के घोटाले का पर्दाफाश किया था और रॉबर्ट बाड्रा की जमीन डील की गलतियों का पर्दाफाश किया था. यह मामला अभी ठंडे बस्ते में है.