उत्तर प्रदेश में 43 ऐसे आईपीएस अधिकारी हैं जो सेवाकाल में 40 से अधिक बार स्थानांतरित किये गए हैं जबकि 1983 बैच के कन्हैया लाल मीणा सबसे अधिका 59 बार स्थानांतरित हुए.
नूतन ठाकुर, लखनऊ से
स्थानांतिरत होने वालों में 2 डीजी- विनोद कुमार सिंह (43 बार) और अरुण कुमार गुप्ता (45 बार), 14 एडीजी, 13 आईजी, 10 डीआईजी तथा 4 एसपी शामिल हैं. ये तथ्य मैंने आरटीआई यानी सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत एक अप्रैल 2013 की गृह विभाग की सूचनाओं के आधार पर हासिल किया है.
इन अभिलेखों के आधार पर जो जानकारी मिली है वह बताती है कि 1983 बैच के कन्हैया लाल मीणा के बाद कमाल सक्सेना (48 बार) और विजय सिंह (47 बार) स्थानांतरित किये गये हैं.
इन सूचनाओं के अनुसार सबसे कम बार डीजी रैंक के राजीव कपूर (मात्र सात बार) और एडीजी रैंक के एम के सिन्हा (9 बार) के स्थानांतरण हुए मगर इसका कारण शायद यह रहा कि वे अपनी सेवा के शुरू में ही केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए थे.
कम बार स्थानांतरण होने वाले अन्य अधिकारियों में भगवान स्वरुप श्रीवास्तव (13), तनूजा श्रीवास्तव (15) और भानु भास्कर (15) शामिल हैं.
इस तरह बार-बार स्थानांतरण से यूपी के 14 डीजी के सेवाकाल में स्थानांतरण की औसत संख्या 36.4 आती है. एक आईपीएस अधिकारी लगभग 32 साल की सेवा के बाद डीजी बनता है. इस प्रकार इन डीजी रैंक के अफसरों का साल में एक से अधिक बार स्थानांतरण हुआ. इसी प्रकार से यूपी के एडीजी स्तर के अधिकारियों का औसतन 35.9 बार स्थानांतरण हुआ. आईजी स्तर के अधिकारी औसतन 31.8 बार और डीआईजी स्तर के अधिकारी औसतन 29.7 बार स्थानांतरित हुए.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रकाश सिंह मामले में पुलिस अधिकारियों हेतु दो साल की न्यूनतम तैनाती की अवधि के निर्देश दिये गए थे.इसकी तुलना में यह यह उत्तर प्रदेश की जमीनी सच्चाई है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश की धज्जी ऐसे ही उड़ाते रहना अदालती अवमानना तो है ही साथ ही बार बार स्थानांतरण से कानून व्यस्था का प्रश्न अपने संगीन रूप में सामने आता है.
नूतन ठाकुर सूचना अधिकार कार्यकर्ता हैं.