केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी पहली बार नये रूप में दिखे.एक विपक्षी दल के नेता के रूप में राहुल ने जब राफेल हेलिकाप्टर खरीद में बड़े घोटाले का आरोप लगाते हुए पी एम को सीधे तौर पर इस भ्रष्टाचार में भागीदार बतलाया और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बेटे को लेकर समूचे देश मे फजीहत कर डाली.
वरिष्ठ पत्रकार अशोक मिश्रा की त्वरित टिप्पणी
शायद सदन में पहली बार ऐसा दिखा जब इतनी कमजोर कांग्रेस के पप्पू के भाषण से सत्ता पक्ष के सदस्य इतने आक्रोशित थे. सत्ता पक्ष के इस रवैये के कारण लोकसभा अध्यक्ष को सदन की कार्यवाही रोकनी पड़ी.लेकिन राहुल यहा भी नही रूके. उन्होनें जिस तरह से किसानो और महिलाओ के मुद्दे पर सरकार को कटघरे में खड़ा किया और हिन्दुत्व के नाम पर भाजपा की बखिया उधेड़ी कह सकते है कि भाजपा के पप्पू को भी अब बोलना आ गया है. सदन के सामने यह दावा करना कि पी एम हमसे आंख नही मिला सकते और 56 ईंच वाले पी एम की पहले चीन मामले पर पोल खोलना और जबरन गले मिलकर शायद यह संदेश देना कि मैं तुमसे सीधा सीना मिलाने को तैयार हूं. यह राहुल के नये अवतार का संकेत है.हालांकि पी एम मोदी ने सीना मिलाने से परहेज करते हुए राहुल की पीठ जरूर थपथपाई.
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कहा जाता है कि नेताओ की असली अग्नि परीक्षा विपक्ष में रहने पर होती है. अटल बिहारी बाजपेयी जैसे विरले नेता होते है जिनके लिये सत्ता और विपक्ष कोई मायने नही रखता. एक विपक्षी दल के नेता के रूप में राहुल ने जो रूप दिखाया आने वाले समय में इसका असर दिखने की संभवना है. फिलहाल इतना जरूर कहा जा सकता है कि सदन में मोदी सरकार के खिलाफ भले ही अविश्वास का असर नही दिखे देश की जनता के सामने पप्पू ने मोदी के खिलाफ अविश्वास पैदा करने में एक कदम जरूर कामयाबी हासिल की है.हालांकि सोशल मीडिया में राहुल विरोधियो की अनेक तरह की टिप्पणिया आ रही है इससे साफ जाहिर है कि राहुल ने राजनीतिक कंपन लाने में सफलता हासिल की है और सचमुच पप्पू ने कमाल कर दिया.राहुल के इस नये तेवर के लिये उन्हें बधाई.