1993 के मुम्बई बम ब्लास्ट के गुनाहगार याकूब मेमन को 30 जुलाई यानी ईद बाद फांसी दी जा सकती है. अगर फांसी की यह डेट नहीं टली तो 18 जुलाई की ईद उनके जीवन की आखिरी ईद होगी.
नौकरशाही डेस्क
मुंबई में 12 मार्च 1993 को सिलसिलेवार 12 धमाके हुए थे, जिसमें 257 लोगों की मौत हुई थी. 1993 में मुंबई में हुए इस ब्लास्ट में कथित रूप से दाउद इब्राहिम, टाइगर मेमन और उनके भाई अयूब मेमन मुख्य षड़यंत्रकारी थे और इन्हें मोस्ट वांटेड अपराधी घोषित कर दिया गया था. टाईगर मेमन और दाऊद इब्राहिम इस मामले में अब भी फरार हैं.
टाडा कोर्ट ने 27 जुलाई 2007 को याकूब को आपराधिक साजिश का दोषी करार देते हुए सजा-ए-मौत सुनाई थी. इसके बाद उसने बॉम्बे हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति तक के पास अपील की. लेकिन उसे राहत नहीं मिली.
याकूब का पूरा नाम अब्दुल रज्जाक मेमन है. वह चार्टर्ड अकाउंटेंट थे. मेमन इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी से मास्टर्स की पढाई कर रहे हैं.
याकूब अपने परिवार का सबसे ज्यादा पढ़ा लिखा सदस्य है और उसके पास चार्टर्ड अकाउंटेंसी का फर्म था. मुम्बई ब्लास्ट कांड में उसे नेपाल पुलिस ने हिरासत में लिया था और उसे उसने सीबीआई को सौंप दिया था. तब से याकूब नागपुर जेल में बंद हैं.
बम धमाका मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2013 में उसी फांसी की सजा सुनायी थी.