सैयद अली इमाम के बारे में जानिये जिन्होंने लीग आफ नेशन में भारत की पहली नुमाइंदगी की और उन्होंने ही बिहार के गठन में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
उमर अशरफ
प्राथम विश्व युद्ध के बाद पेरिस पीस कानफ़्रेंस के नतीजे मे 10 जनवरी 1920 को ‘लीग आफ़ नेशन’ बना था, दिसम्बर 1920 मे इसकी पहली असेम्बली मे हिन्दुस्तान की नुमाईंदगी दो हिन्दुस्तानीयो ने की थी जिसमे एक थे नवानगर के महाराजा जाम साहेब और दुसरे बिहार के लाल सैयद अली इमाम.
सैयद अली इमाम के छोटे भाई सैयद हसन इमाम ने ही सितम्बर 1923 मे नवानगर के महाराजा जाम साहेब के साथ ‘लीग आफ़ नेशन’ की चौथी असेम्बली मे हिन्दुस्तान की नुमाईंदगी की थी.
सैयद अली इमाम की क़ाबीलियत का कोई तोड़ नही था. अंग्रेज़ो ने दिसम्बर 12, 1911 को हिन्दुस्तान की राजधानी कलकत्ता को बदल कर न्यु दिल्ली करने का एलान किया गया था इसमे भी सैयद अली इमाम का ही हाथ था. इन्होने ही अपने दम पर बिहार नाम की रियासत को 1912 मे वजुद मे ला दिया था.
इनके भाई सैयद हसन इमाम तो हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी पर्टी कांग्रेस के सदर भी रह चुके थे. सरज़मीन-ए-हिन्द ब्रितानी दौर के दीवानी क़ानून की दुनिया में बैरिस्टर सैय्यद हसन इमाम का कोई हमसफ़र नहीं पैदा कर सकी “हिन्दु लॉ” के सिलसिले में हसन इमाम को औथोरिटी का दर्जा हासिल है. हिन्दुओं के क़ानून को सामने रखकर जब वो बहस करते तो शास्त्रों और वेदों के हवालों से ऐसे नुक्ते पेश करते कि बड़े-बड़े संस्कृत जानने वाले पंडितों के होश उड़ जाते हैं.
फोटो मे ‘लीग आफ़ नेशन’ की पहली असेम्बली दिसम्बर 1920 मे हिन्दुस्तान की नुमाईंदगी करते हुए (बाएं से दाएं) नवानगर के महाराजा जाम साहेब, सर विलयम स्टेवेनसन मेयर( हाई कमिशनर आफ़ इन्डिया) और सर अली इमाम.