परम वीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद को उनके शहादत दिवस पर याद किया गया. पटना में जहां उन्हें राजकीय सम्मान में याद किया गया तो अनेक राजनीतिक-सामाजिक संगठनों ने भी भी शहीद अब्दुल हमीद को खिराज ए अकीदत पेश किया.
1965 के भारत पाक युद्ध के नायक के रूप में चर्चित अब्दुल हमीद ने पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में अपने प्राणों को न्योछावहर करने से पहले दुश्मन देश के अनेक टैंकों और दुश्मनों को ध्वस्त कर भारत की शान को बढ़ाया था. उन्के इस कारनामे पर उन्हें परम वीर चक्र और महावीर चक्र से सम्मानित किया गया .
बिहार सरकार ने उनके शहादत दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि दी वहीं फेडरेशन फॉर माइनरिटीज राइट और जनता दल राष्ट्रवादी ने भी उन्हें याद किया. जनता दल राष्ट्रवादी ने इस अवसर पर एक कार्यक्रम आयोजित किया इसमें शमीम आलम, शपीकुर्रहामन, संजय राही, संजय वर्मा, अर्चना सिंह, मेराज खान और राजेश कुमार समेत अनेक नेता मौजूद थे.
अब्दुल हमीद की कहानी
8 सितम्बर1965 की रात में, पाकिस्तान द्वारा भारत पर हमला करने पर, उस हमले का जवाव देने के लिए भारतीय सेना के जवान उनका मुकाबला करने को खड़े हो गए। वीर अब्दुल हमीद पंजाब के तरन तारन जिले के खेमकरण सेक्टर में सेना की अग्रिम पंक्ति में तैनात थे। पाकिस्तान ने उस समय के अपराजेय माने जाने वाले “अमेरिकन पैटन टैंकों” के के साथ, “खेम करन” सेक्टर के “असल उताड़” गाँव पर हमला कर दिया।
भारतीय सैनिकों के पास न तो टैंक थे और नहीं बड़े हथियार लेकिन उनके पास था भारत माता की रक्षा के लिए लड़ते हुए मर जाने का हौसला। भारतीय सैनिक अपनी साधारण “थ्री नॉट थ्री रायफल” और एल.एम्.जी. के साथ पैटन टैंकों का सामना करने लगे। हवलदार वीर अब्दुल हमीद के पास “गन माउनटेड जीप” थी जो पैटन टैंकों के सामने मात्र एक खिलौने के सामान थी।
वीर अब्दुल हमीद ने अपनी जीप में बैठ कर अपनी गन से पैटन टैंकों के कमजोर अंगों पर एकदम सटीक निशाना लगाकर एक -एक कर धवस्त करना प्रारम्भ कर दिया। उनको ऐसा करते देख अन्य सैनकों का भी हौसला बढ़ गया और देखते ही देखते पाकिस्तान फ़ौज में भगदड़ मच गई। वीर अब्दुल हमीद ने अपनी “गन माउनटेड जीप” से सात[2] पाकिस्तानी पैटन टैंकों को नष्ट किया था।