यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के लिए काफी दिनों से आंदोलन कर रहे अभ्यर्थियों की कुर्बानी आखिर रंग ले आयी है. पटना में जश्न का माहौल है.
यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में सी-सैट और प्रश्नपत्रों के अनुवाद को लेकर जारी गतिरोध के बीच सरकार ने संसद में ऐलान किया है कि ग्रेडिंग या मेरिट में अंग्रेजी के अंक को शामिल नहीं किया जाएगा.
इस फैसले से गैर अंग्रेजी भाषी छात्रों को काफी राहत मिलने की उम्मीद है.
लोकसभा में कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार मंत्री ने घोषणा की कि सीसेट के पेपर में अंग्रेजी कम्प्रिहेंसन में प्राप्त अंकों को प्राप्तांक मंं नहीं जोड़ा जाएगा और जिन अभ्यर्थियों को गलत अनुवाद की वजह से 2011 की परीक्षा में सफलता से वंचित रह जाना पड़ा उनको 2015 की परीक्षा में बैठने का फिर से मौका दिया जाएगा.
इस मामले पर टिप्पणी करते हुए वरिष्ठ पत्रकार अरुण कुमार ने कहा कि यह हिंदी भाषा भाषी ही नहीं सभी अन्य भाषा भाषी परीक्षार्थियों की एक बड़ी जीत है. तथा सरकार पर आन्दोलन के दवाब का परिचायक है. यह स्वागतयोग्य भी है और यह दर्शाता है कि सरकार की सम्वेदना जगी है आन्दोलनकारियों के आन्दोलन से.
एक गणतांत्रिक प्रणाली वाले देश के लिए यह कोई अजूबा नहीं है. मगर जैसा कि मैं पहले से ही कह रहा हूँ सीसेट को हटाने की बात जो शायद मेरी समझ से वैसे भी गलत मांग थी को सरकार ने नहीं माना है. आखिर अभ्यर्थियों को परीक्षा के सिलेबस, प्रक्रिया आदि तय करने के संघ लोक सेवा आयोग के अधिकार तय करने का अधिकार कैसे दिया जाएगा ? क्या यह संघ लोक सेवा आयोग की स्वायत्तता का अतिक्रमण नहीं होगा.
उधर इस खबर के सार्वजनिक होते ही अदिति- अदम्या, गुरुकल व एम सिविल सर्विसेज के बैनर तले सैंकड़ों छात्रों ने डा.एम रहमान के नेतृत्व में विजय जुलूस निकाला. यह जुलूस नया टोला से पटना के कारगिल चौक तक पहुंचा. इस जुलूस में शिक्षाविद मुन्नाजी, बेगूसराय के सामाजिक कार्यकर्ता ओम प्रकाश भारद्वाज, एलिट इंस्टिच्यूट के निदेशक अमरदीप झा गौतमअनुप नारायण सिंह, सुनील कुमार सिंह, राजकुमार सिंह, सुबोध मिश्रा, शशि कुमार, अभिषेक कुमार सिन्हा समेत अनेक शिक्षक और छात्र शामिल थे.
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