जनता दल यू के विधान पार्षद नीरज कुमार ने संघलोकसेवा आयोग की क्षेत्रीय भाषाओं के छात्रों के प्रति रवैये के खिलाफ सरकार से पहल का आग्रह किया पर इस मामले में सुशील मोदी की चिप्पी की उन्होंने आलोचना की
नीरज ने सदन में बताया कि हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में लोकसेवा आयोग की परीक्षा देने वालों पर अंग्रेजी थोप कर हिंदी भाषी छात्रों को आईएएस, आईपीएस बनने से रोकने की साजिश बताते हुए कहा कि यह अंग्रेजी मानसिकता का परिचायक है.
यह भी पढ़ें- भाषाई आतंकी जैसा आचरण कर रहे हैं सुशील मोदी
उन्होंने कहा कि सीसैट के माध्यम से गैर अंग्रेजी भाषी छात्रों को आयोग की परीक्षा में काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसके विरोध में बिहारी छात्र दिल्ली में आंदोलनरत हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को इन छात्रों के अनशन को समाप्त करवाना चाहिए और केंद्र सरकार से गैर अंग्रेजी भाषी छात्रों के हित में फैसला लेने के लिए दबाव बनाना चाहिए.
नीरज ने इस बात पर काफी दुख व्यक्त किया कि 2014 में संघ लोक सेवा आयोग द्वारा घोषित परिणाम में टॉप 24 छात्रों में एक भी हिंदी या दूसरी क्षेत्रीय भाषाओं के छात्रों का चयन नहीं हुआ है.
नीरज की इन बातों का समर्थन करते हुए हरेंद्र प्रताप पांडेय ने कहा कि पूरे सदन को नीरज के समर्थन में खड़ा होना चाहिए.
नीरज की पहल का केदार पांडेय ने भी समर्थन किया. हालांकि इस बहस के दौरान विपक्ष के नेता सुशील मोदी मौजूद थे लेकिन उन्होंने इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली.
बाद में नीरज ने नौकरशाही डॉट इन को बताया कि सुशील मोदी की इस मामले में चुप्पी समझ से परे है. उन्होंने कहा कि क्या सुशील मोदी दिल्ली में अपना सीआर ठीक रखने के लिए बिहार के छात्रों के हितों को तरजीह नहीं देते?