उत्तर प्रदेश के पुलिस थानों के बीच सीमा की दीवार गिरा दी गई है। पीड़ित अब कहीं भी अपनी एफआईआर दर्ज करा सकेगा। मुकदमे के लिए सीमा की कोई बाध्यता नहीं रहेगी।
राकेश शर्मा
प्रथम सूचना रिपोर्ट अंकित करने की थाना प्रभारियों की जिम्मेदारी फिक्स कर दी गई है। उल्लंघन करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्ती से मुकदमे और विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।
सूबे में घटनास्थल को लेकर पुलिस के बीच खिंचने वाली तलवार अब म्यान में ही रहेगी। बरसों से थानों का सीमा विवाद वर्दी की फजीहत का कारण बनता रहा है।
वारदात के बाद अपराधियों को ढूंढने के बजाए पुलिस की कसरत घटनास्थल एक-दूसरे के इलाके में खिसकाने में होती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाएगा।
प्रदेश के पुलिस महानिदेशक देवराज नागर ने थानों के बीच खाई पैदा करने वाली सीमा की दीवार को गिरा दिया है। इस नई व्यवस्था में थाना प्रभारी की यह जिम्मेदारी होगी कि पीड़ित की शिकायत पर वह तत्काल मुकदमा दर्ज कर विवेचना करेगा।
विवेचना में यदि घटनास्थल दूसरे थाने का है, तो उसे स्थानांतरित करने की कार्रवाई करेगा, लेकिन वह अपराध पंजीकृत करने से मना नहीं कर सकेगा। ऐसे अपराध जिनमें दूसरे थाने का घटनास्थल तय है, वहां शून्य पर रिपोर्ट दर्ज कर संबंधित थाने को प्रेषित की जाए।
पुलिस कप्तानों को निर्देश दिए गए हैं कि घटनास्थल को लेकर एफआईआर दर्ज करने में अनावश्यक विलंब करने वाले थाना प्रभारियों के खिलाफ आईपीएसी की धारा 166 ए के तहत रिपोर्ट दर्ज करने के साथ विभागीय कार्रवाई की जाए। यह धारा पद के दुरुपयोग के दायरे में आती है। इसमें छह माह के कारावास और जुर्माने का प्रावधान है।
साभार अमर उजाला डाटकॉम