राज्‍य सरकार महिलाओं पर मेहरबान है। पंचायत से लेकर सरकारी नौकरियों तक में आरक्षण दिया जा रहा है। इसके सकारात्‍मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं। निर्णय प्रक्रिया में इनकी भागीदारी बढ़ी है। सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्‍व भी बढ़ा है।nnnnnnn

नौकरशाही ब्‍यूरो

 

महिलाओं के आरक्षण पर बहस की कोई गुंजाईश नहीं है। लेकिन उनकी कार्यशैली पर सवाल उठते रहे हैं। पंचायती राज में मुखियापति से अध्‍यक्षपति तक पद सृजित हो गए हैं। प्रमुखपति भी आपको मिल जाएंगे। रसोइयों के आंदोलन का नेतृत्‍व कर रहे एक व्‍यक्ति ने बताया कि वह रसोइया पति हैं। अभी सिपाहीपति या दारोगापति जैसी अवधारणा सामने नहीं आयी है। लेकिन इस अवधारणा को एकदम खारिज नहीं किया जा सकता है।

 

आज विधान सभा गेट पर कोसी त्रासदी के पीडि़त प्रदर्शन कर रहे थे। उसमें महिलाओं की संख्‍या भी काफी थी। इसलिए इनसे निपटने के लिए महिला पुलिसकर्मियों को भी बड़ी संख्‍या में तैनात किया गया था। इस दौरान महिला पुलिसकर्मी आंदोलनकारियों को नियंत्रित करने का पूरा प्रयास कर रही थीं। इसी में एक ऐसी पुलिस भी थीं, जो एक हाथ से आंदोलनकारियों को दबोचने का प्रयास कर रही थीं और दूसरे हाथ के खुबसूरत नाखूनों को बचाने का प्रयास भी कर रही थीं। उनका पूरा ध्‍यान अपने नाखूनों की रक्षा पर था। यह पुलिस पदाधिकारियों को तय करना है कि घटना से ज्‍यादा नाखूनों की चिंता करने वाली पुलिसकर्मी तैनात किये जाएंगे तो आंदोलनकारी विधानसभा तक आसानी से पहुंच ही सकते हैं। सुरक्षा के दावों में सेंध लग ही सकती है।

By Editor


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