परवीन अमानुल्लाह का नीतीश कैबिनेट से इस्तीफा देना एक बड़े गेम प्लान का हिस्सा था. क्या था वह गेमप्लान? पढें.
इर्शादुल हक, सम्पादक नौकरशाही डॉट इन
पढ़ें परवीन ने नीतीश पर क्यों साधा निशाना
परवीन अमानुल्लाह ने अपने इस्तीफे का समय बहुत सटीक चुना था. जब राज्यसभा की सदस्यता से वंचित किये गये शिवानंद तिवारी नीतीश कुमार पर प्रहार पर प्रहार कर रहे थे. दूसरी तरफ एनके सिंह को भी राज्यसभा से बेदखल कर दिया गया था. उनकी नाराजगी अलग थी. ऐसे में नीतीश कैबिनेट की एक मात्र मुस्लिम महिला द्वारा जोरदार झटका दिया जाना राजनीतिक पंडितों की भी समझ से परे था.
लाचार मंत्री
पर सच्चाई यह थी कि इसके लिए परवीन अमानुल्लाह ने काफी होम वर्क किया था. परवीन जुझारू प्रवृति की महिला रही हैं. सामाजिक संस्था हमलोग के जमाने से सड़कों पर जिस आक्रमक तरीके से उन्होंने काम किया है लोग जानते हैं. लेकिन राजनीति में आते ही सिस्टम का हिस्सा होने के बाद चीजें वैसी नहीं थीं जैसी उन्होंने कल्पना की थी. समाज क्ल्याण जैसे महत्वपूर्ण विभाग की मंत्री रहने के बावजूद उनके अधिकार सीमित हो चुके थे. सूत्र बताते हैं कि वह कोई फैसला लेने के पोजिशन में नहीं थीं. विभाग के सचिव से उनकी कभी नहीं पटी. उधर कई मामलों में मुख्यमंत्री के स्तर से ही सीधे काम किया जाता था.
पिछले आठ दस महीन में उनके पर पूरी तरह से कतरे जा चुके थे. भ्रष्ट सीडीपीओ के तबादले या निलंबन तक के उनके फैसले को पलट दिया जाता था. एक तरह से वह मंत्री होने के बावजूद नाम भर की मंत्री थीं. उन्होंने एक बार अपनी बेबसी का जिक्र भी किया था.
उधर उनके जुझारू या यूं कहिए की जिद्दी स्वभाव के कारण वह नीतीश की पसंदीदा मंत्रियों की लिस्ट से भी बाहर हो चुकी थीं. विश्वस्त सूत्र तो तो यहां तक बता रहे हैं कि नीतीश ने उनके विकल्प की तलाश भी कर ली थी. बताया जा रहा है कि जद यू की एक अन्य मुस्लिम महिला विधायक रजिया खातून को समाज कल्याण विभाग का मंत्री बनाया जाना तय था.
ऐसे में अपना पत्ता साफ होता देख परवीन अमानुल्लाह ने बड़ा गेमप्लान तैयार किया. बताया तो यहां तक जाता है कि इस गेमप्लान में उनके आईएएस पति अफजल अमानुल्लाह भी साथ थे. इसी रणनीति के तहत परवीन ने दबाव की राजनीति का गेम खेलने का फैसला लिया. सूत्रों का यहां तक कहना है कि परवीन ने एक मुस्लिम महिला मंत्री के बतौर जोरदार झटका देना इसलिए तय किया कि, वैसे नाजुक दौर में जब नीतीश की पूरी ताकत मुस्लिम वोट को अपनी तरफ आकर्षित करने में लगी है, खुद परवीन ने उन्हें झटका देकर नीतीश के सारे खेल को बिगाड़ देने की कोशिश की है.
इस गेम का फायदा
परवीन चूंकि कुछ दिनों की ही मेहमान थी. अगर उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया होता तो खुद मंत्री पद से वह हटायी जाने वालीं थी इसिलए उन्होंने रक्षात्मक होने के बजाये आक्रमण की रणनीति ही बना ली.
इसका सुबूत उनके इस्तीफे के तुरत बाद देखने को मिला कि जद यू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने बयान देकर कहा कि परवीन अमानुल्लाह अपने फैसले को बदल लें.अगले कुछ समय में उनके फैसले पर नीतीश कुमार को फैसला लेना है. लेकिन नीतीश के स्वाभाव को जानने वालों को पता है कि उनकी पार्टी का कोई भी कार्यकर्ता अगर इस तरह का फैसला लेता है तो नीतीश उसके सामने घास तक नहीं डालते. लेकिन परवीन ने जिस तरह का गमे खेला है और जितना नुकसान पहुंचाने की हद तक उन्होने फैसला लिया है, लगता है नीतीश इस नुकसान को उठाने का हौसला न करें. संभवाना तो यहां तक है कि परवीन को मना लिया जाये. सत्ता के गलियारे के एक सूत्र का दावा है कि परवीन मान भी जायेंगी.
देखते रहिए अगला एक दो दिन काफी महत्वपूर्ण है. नतीजे सामने आ सकते हैं.
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