नीरज प्रियदर्शी एक ऐसी आईएएस के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने विकास की गति को क्रांतिकारी रफ्तार दे दी है लेकिन उन्हें उनके जिले के बाहर कम लोग ही जानते हैं. आखिर कौन हैं ये और क्या खूबियां हैं इनकी?
अपने असाइनमेंट को लेकर मनरेगा के बारे में कुछ जानकारियां जुटानी थी। तब पहली बार इनायत खान से मिला था। बातों ही बातों में इन्होंने कहा था, “भोजपुर को बहुत आगे ले जाना है”।
इनकी ये बात तब दिल को लगी थी। एक आईएएस अधिकारी जिसका इस जिले से कोई वास्ता नहीं था( यहां तक कि प्रदेश से भी नहीं), भोजपुर के बारे में ऐसा सोचती हैं। अपने सपने को साकार होता देख रहा था। प्रेरणा के साथ तसल्ली भी मिली थी।
इनायत खान ने 2011 के भारतीय प्रशासनक परीक्षा में 176वां रैंक प्राप्त किया था. वह बिहार कैडर की आईएएस अधकारी हैं. उन्होंने यूपी के टेक्निकल युनिवर्सिटी से बीटेक की डिग्री ली. इंजीनियरिंग के बजाये सिविल सेवा को करियर चुना. फिलहाल भोजपुर में डीडीसी के पद पर कार्यरत. इससे पहले नालंदा में एसडी रहीं.
भोजपुर जिले में जुलाई में मनरेगा के अंतर्गत चल रही योजनाओं की पूर्णता का प्रतिशत 1.25 था जो ताजा रिपोर्ट के अनुसार नवंबर के आंकड़ों के अनुसार बढ़कर 47 प्रतिशत तक पहुंच गया है।
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भोजपुर की उप विकास आयुक्त रहते हुए इन्होंने कुछ ऐसे काम किए हैं जिन्हें मैं पहले तो अपने जिले में कभी नहीं होता देखा था। मसलन, सूचना व प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल( प्रत्येक प्रखंड कार्यालयों में सीसीटीवी कैमरा और बायोमेट्रिक हाजिरी, इसी के आधार पर कर्मियों का वेतन भी), सरकारी बाबुओं पर सख्ती( खुद ही स्टेशन परिसर में कुर्सी लगाकर बैठ गईं और रोजाना पटना जाने वाले अधिकारियों की क्लास लगाईं), भोजपुर में पहले से बेहतर मतदान और जब मन करे किसी भी कार्यालय के औचक निरीक्षण में पहुंच जाना।
अनुपस्थित और मनमौजी करने वाले अधिकारियों व कर्मियों की ड्यूटी टाइट हो गई है। इसके पहले प्रतिमा एस वर्मा के बारे में ऐसा सुना था.
खान की खासियत-
उदवंत नगर प्रखंड के औचक निरीक्षण के लिए पहुंची थी। रास्ते में ढ़लाई का काम चल रहा था तो गाड़ी खड़ी कर दनदनाते हुए पैदल ही निकल पड़ीं। करीब एक किलोमीटर का पैदल सफर तय किया और वापसी भी पैदल ही हुईं।
— इंशाअल्लाह.. भोजपुर बहुत तरक्की करेगा। लेकिन आप जैसे अधिकारियों की हमेशा जरुरत होगी।