प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी अपने घोषणाओं को यथाशीघ्र कार्यरूप देने की दिशा में लगातार प्रयत्नशील हैं। उन्होंने 15 अगस्त को लाल किले पर घोषणा की थी कि सरकार नीतियों के निर्धारण और कार्यान्वयन के लिए योजना आयोग की जगह नयी संस्था का गठन करेगी। इसको कार्यरूप देने के लिए सात दिसंबर को प्रधानमंत्री ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक दिल्ली में बुलायी है, जिसमें योजना आयोग के विकल्पों पर विचार किया जाएगा।
इस संबंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार, नयी संस्था नीति आयोग बनायी जा सकती है। इसके जिम्मे केन्द्रीय निधि के प्रभावी क्रियान्वयन के उद्देश्य से केन्द्र-राज्य के बीच बेहतर समायोजन का काम सौंपा जा सकता है। सरकारी लाभों के सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में हस्तातंरित करने वाली वित्त मंत्रालय की योजना डीबीटी को भी योजना आयोग के स्थान पर बनने वाली संस्था के हवाले किया जा सकता है। नयी संस्था को केन्द्र राज्य संबंध के मुद्दे पर विचार विमर्श करने वाली अंतर राज्य परिषद का सचिवालय भी बनाया जा सकता है। यह परिषद अभी गृह मंत्रालय के अधीन है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, नयी संस्था का मुख्य कार्य नयी योजनायें बनाना और उसका मूल्याकंन करना होगा लेकिन कोष जारी करने का योजना आयोग का अधिकार नयी संस्था को संभव: नहीं मिल पायेगी। अभी यह अधिकार वित्त मंत्रालय के पास है। नीतियों के बेहतर क्रियान्वयन के उद्देश्य सें नयी संस्था के चार प्रकोष्ठ हो सकते हैं और इसके लिए चार सचिव भी नियुक्त किये जा सकते हैं। अंतर राज्य परिषद योजना मूल्याकंन आधार और डीबीटी इकाई हो सकती है। इन सभी ईकाइयों में केन्द्र और राज्यों के प्रतिनिधि होंगे। योजना आयोग की तरह की नयी संस्था के प्रमुख भी प्रधानमंत्री होंगे, लेकिन इसको सही तरीके से संचालन के लिए वर्तमान की तरह एक उपाध्यक्ष होगा, जो कार्यकारी प्रमुख होगा।