वर्तमान स्वरूप में योजना आयोग की विदाई लगभग तय हो गयी है। इसकी जगह पर सृजित होने वाली नयी संस्था का स्वरूप अभी तय नहीं है, लेकिन इतना तय है कि उस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का छाप जरूर दिखेगा। पीएम ने खुद शुक्रवार को लोकसभा में बताया कि इस पर विचार विमर्श के लिए रविवाद को सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई गयी है। इसमें इसके पुनर्गठन को लेकर भी गंभीर मंथन होगा।
श्री मोदी ने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान योजना आयोग से जुड़े एक प्रश्न के उत्तर में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि योजना आयोग के नये स्वरूप को लेकर सरकार का मानना है कि यह रूचि, ज्ञान और अनुभव के आधार पर आने वाले पांच-दस दशकों को ध्यान में रखकर नया संगठन बने। प्रधानमंत्री ने बताया कि उन्होंने सात दिसंबर को सभी मुख्यमंत्रियों को इस पर विस्तार से विचार के लिये बुलाया है। उन्होंने कहा कि योजना आयोग में समयानुकूल बदलाव किये जाने की आवश्यकता पहले ही महसूस की जा रही थी। उन्हीं चीजों को लेकर प्रयास चल रहे हैं।
इससे पहले मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने भी पिछले जनता दरबार के बाद मीडिया से कहा था कि सात दिसंबर को प्रधानमंत्री के साथ बैठक में बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग के साथ राज्य हित के अन्य मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे। बताया जाता है कि प्रधानमंत्री ने उसी दिन पूर्वी व पूर्वोतर राज्यों के मुख्यमंत्रियों की भी बैठक अलग से बुलायी है। संभव है इसी दौरान सीएम मांझी प्रधानमंत्री से बिहार के मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
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मंत्रिमंडलीय सचिव का कार्यकाल छह माह बढ़ा
मंत्रिमंडल सचिव अजीत कुमार सेठ का कार्यकाल 13 दिसंबर से छह माह के लिये और बढ़ा दिया गया है। केन्द्रीय मंत्रिमंडल की नियुक्ति संबधी समिति ने श्री सेठ के कार्यकाल में विस्तार को अनुमति दे दी है । श्री सेठ 1974 बैच के उत्तर प्रदेश केडर के अधिकारी है।