ट्रेनी आईएएस अफसर रिजु बाफना को उनके सहयोगी ने अश्लील मैसेज भेजा. इस पर उन्हों शिकायत दर्ज करा तो दी. लेकिन अदालती प्रक्रिया ने उन्हें क्या एहसास कराया. सुनिये उनकी दर्द भरी कहानी.
बाफना मध्यप्रदेश में पोस्टेड हैं.
हॉय एवरी वन
मेरा यह पोस्ट सैक्सुअल हरसमेंट मामले में अपने साथ हुए न्यायपालिका में अनुभव के बारे में हैं.
संतोष चौबे , आयोग मित्र मध्यप्रदेश मानवाधिकार आयोग पिछले कुछ दिनों से मेरे पास अश्लील मैसेज भेज रहे थे. मैंने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी.
मैंने मानवाधिकार आयोग के आयोग मित्र के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। उन्होंने मुझे अश्लील मैसेज भेजे थे। मेरी शिकायत पर जिला कलेक्टर भारत यादव ने तत्काल कार्रवाई कर उसे पद से हटा दिया। लेकिन मुझे तब तकलीफ पहुंची, जब मैं बयान दर्ज कराने अदालत गई। कक्ष में एक वकील भी कुछ लोगों के साथ मौजूद थे। इतने लोगों के सामने बयान देने को लेकर मैं असहज महसूस कर रही थी। मैंने मजिस्ट्रेट से स्टेटमेंट की कैमरा रिकॉर्डिंग कराने का अनुरोध किया। कोर्ट मेरी मांग पर विचार करती इससे पहले ही वकील ने चिल्लाते हुए कहा- ‘आप अपने ऑफिस में ऑफिसर होंगी, अदालत में नहीं।’ मैंने कहा कि मैं आईएएस होने के नाते नहीं, एक महिला होने की वजह से यह मांग कर रही हूं।
वे बदतमीजी से बात करते हुए चले गए। मैंने माननीय मजिस्ट्रेट से भी निवेदन किया, लेकिन उन्होंने नहीं सुना। उन्होंने कहा-आप युवा हैं। अभी नियुक्त हुई हैं इसलिए इस तरह की मांग रख रही हैं। धीरे-धीरे आप अदालतों की कार्यप्रणाली समझ जाएंगी। फिर ऐसी मांगें नहीं रखेंगी। मैं मजबूर थी। बयान दर्ज करा दिया।
आईएएस का यह हाल तो आम महिला का क्या
यदि आईएएस पद पर बैठी महिला के साथ ऐसी उदासीनता और असंवेदनशीलता है तो आम महिला पर क्या गुजरती होगी? मैं उन महिलाओं के साथ सहानुभूति रखती हूं जो चुप रहीं। महिलाओं को न्यायपालिका से बहुत उम्मीदें हैं। वह पक्षपात रहित सुनवाई और सहानुभूति भरा व्यवहार चाहती है। लेकिन मुझे जो अनुभव हुआ है उससे लगता है कि एक बार फिर मेरे साथ उत्पीड़न हुआ।
मैं पूर्वाग्रह से ग्रसित नहीं हूं, मुझे लगता है कि मेरे साथ न्याय नहीं हुआ। मैं चाहती हूं कि अदालतें भी संवेदनशीलता दिखाएं। ‘मैं बस यही दुआ कर सकती हूं कि इस देश में कोई महिला ना जन्में। यहां हर कदम पर उल्लू बैठे हैं…’
रिजु के फेसबुक वॉल से
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