रंग लाया naukarshahi.com का अभियान सीतामढ़ी को दंगा से बचाने में विफल SP विकास वर्मन हटाये गये

सीतामढ़ी को दंगा की आग से बचाने में विफल रहे SP विकास वर्मन पर गाज गिर ही गयी. उन्हें वहां से हटा दिया गया है. naukarshahi.com में उनके नाकारेपन को उजागर करने वाली रिपोटों की सिरीज चलाई थी

बिहार सरकार ने आज सोमवार को सीतामढ़ी जिले के पुलिस अधीक्षक को बदल दिया है. सीतामढ़ी के पुलिस अधीक्षक विकास बर्मन (बैच 2008) को  हटा कर उन्हें  बिहार सैन्य पुलिस – 5 का समादेष्टा बना दिया है. उनकी जगह  भारतीय पुलिस सेवा के 2006 बैच के अधिकारी सुजीत कुमार को सीतामढ़ी का नया पुलिस अधीक्षक बनाया गया है.
गौरतलब है कि 20 अक्टूबर को सीतामढी में भयावह दंगा भड़का था और छह घंटे तक गोशाल चौक समेत अनेक स्थानों पर आगजनी होती रही इस दौरान अस्सी वर्ष के बुजर्ग को हत्या कर के जला दिया गया था.
इस दंगे में नौकरशाही डॉट काम ने पाया था कि पुलिस प्रशासन की भूमिका निहायत ही नाकारेपन वाली रही.
नौकरशाही डॉट कॉम ने अपने पाठकों को 30 नवम्बर को बताया था कि जनदबाव के बाद सरकार इस मामले में कार्वाई करने वाली है

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सुजीत कुमार अभी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस लौटे हैं. इसके पहले वे सीबीआई में तैनात थे.
 20 अक्टूबर को भड़के इस दंगे में जैनुल अंसारी नामक एक बुजुर्ग को काट कर जला दिया गया था. इस घटना के दौरान सबीर अंसारी नामक एक बुजुगुर्ग पर जानलेवा हमला किया गया और उन्हें मृत समझ कर फेक दिया गया.

घटना के दस दिनों तक मीडिया में इसकी खबरें प्रमुखता से नहीं आयी. लेकिन नौकरशाही डॉट कॉम ने इस मुद्दे पर लगातार खबरें पहुंचाईं. इस बीच सीतामढ़ी के दंगाग्रस्त इलाके में जा कर हमने इंवेस्टिगेशन की जिसमें कई महत्वपूर्ण और चौंका देने वाले तथ्य सामने आये.

गोशाला चौक पर जहां, जैनुल अंसारी को भीड़ ने पीट कर मार डाला और जला डाला. वहां पर हमारी तहकीकात में सामने आया है कि ऐतिहासिक जानकी मंदिर की जमीन पर बसे मेहतर व पासवान समुदाय के युवाओं को इस दंगे के लिए इस्तेमाल किया गया. यहां के एक युवक ने नाम न बताने की शर्त पर स्वीकार किया कि एक ‘भैया’ के निर्देश पर उन लोगों ने काम किया. यह भैया एक नेता जी हैं जो 2015 विधान सभा चुनाव लड़े थे लेकिन वह हार गये थे.

 

सीतामढ़ी से राजद के प्रत्याशी सुनील कुमार की जीत हुई थी. उसने कहा कि दंगा के बाद भैया ने उस जैसे अनेक युवाओं को जेल जाने से बचाने में अहम भूमिका निभाई. उन्होंने ही दंगा वाली रात आगाह किया था कि पुलिस उन सबके घरों पर छापामारी करने वाली है इसलिए वे लोग फरार हो जायें. इस व्यक्ति ने यह भी कहा कि मूर्ति विसर्जन के दिन( 20 अक्टूबर) को भैया ने बड़े पैमाने पर दारू की बोतलें भेजवाई थीं. इन बोतलों को मूर्ति विसर्जन में शामिल युवाओं ने जम कर पिया था.

By Editor


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