सीतामढ़ी को दंगा की आग से बचाने में विफल रहे SP विकास वर्मन पर गाज गिर ही गयी. उन्हें वहां से हटा दिया गया है. naukarshahi.com में उनके नाकारेपन को उजागर करने वाली रिपोटों की सिरीज चलाई थी
पढ़ें- सीतामढ़ी दंगा; जनदबाव व असेम्बली हंगामे से सरकार में सुगबुगाहट, मुआवजे और कार्वाई की हो रही है तैयारी
घटना के दस दिनों तक मीडिया में इसकी खबरें प्रमुखता से नहीं आयी. लेकिन नौकरशाही डॉट कॉम ने इस मुद्दे पर लगातार खबरें पहुंचाईं. इस बीच सीतामढ़ी के दंगाग्रस्त इलाके में जा कर हमने इंवेस्टिगेशन की जिसमें कई महत्वपूर्ण और चौंका देने वाले तथ्य सामने आये.
गोशाला चौक पर जहां, जैनुल अंसारी को भीड़ ने पीट कर मार डाला और जला डाला. वहां पर हमारी तहकीकात में सामने आया है कि ऐतिहासिक जानकी मंदिर की जमीन पर बसे मेहतर व पासवान समुदाय के युवाओं को इस दंगे के लिए इस्तेमाल किया गया. यहां के एक युवक ने नाम न बताने की शर्त पर स्वीकार किया कि एक ‘भैया’ के निर्देश पर उन लोगों ने काम किया. यह भैया एक नेता जी हैं जो 2015 विधान सभा चुनाव लड़े थे लेकिन वह हार गये थे.
सीतामढ़ी से राजद के प्रत्याशी सुनील कुमार की जीत हुई थी. उसने कहा कि दंगा के बाद भैया ने उस जैसे अनेक युवाओं को जेल जाने से बचाने में अहम भूमिका निभाई. उन्होंने ही दंगा वाली रात आगाह किया था कि पुलिस उन सबके घरों पर छापामारी करने वाली है इसलिए वे लोग फरार हो जायें. इस व्यक्ति ने यह भी कहा कि मूर्ति विसर्जन के दिन( 20 अक्टूबर) को भैया ने बड़े पैमाने पर दारू की बोतलें भेजवाई थीं. इन बोतलों को मूर्ति विसर्जन में शामिल युवाओं ने जम कर पिया था.