आज नोटबंदी के एक साल पूरे हो गए जब इसी दिन साल 2016 में देश के प्रधानमंत्री ने आधी रात के बाद से 500 और हजार रूपए के नोट को भारत की अर्थ व्यवस्था से हटाने का फैसला लिया था. आज विपक्ष इसे काला दिवस के रूप में मना रहा है, जबकि सत्ता पक्ष इसे काला धन के खिलाफ अभियान की सफलता का जश्न मना रहा है. इसी बीच वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने केंद्रीय मंत्री रवि शंकर के बयान के हवाले से अपनी राय फेसबुक पर शेयर किया.
नौकरशाही डेस्क
उन्होंने लिखा है कि सेंटर फॉर मानिटरिंग इंडियन इकोनमी(CMIE) के नए आंकड़े बताते हैं कि इस साल जनवरी से अप्रैल के बीच 15 लाख नौकरियां चली गईं. शेयर बाज़ार में जो कंपनियां लिस्टेड हैं उनके रिकार्ड भी बताते हैं कि नौकरियां घटी हैं. 107 कंपनियों में 14,668 नौकरियां कम हुई हैं. 2015 की तुलना में कर्मचारियों की संख्या जितनी थी उससे कमी ही आई है. लेबर ब्यूरो का एक और डेटा कहता है कि आठ प्रमुख सेक्टरों में पिछले साल अक्तूबर से दिसंबर के बीच 1 लाख 52 हज़ार कैज़ुअल और 46,000 पार्ट टाइम नौकरियां समाप्त हो गईं. रोज़गार के आंकड़े जुटाने के लिए भारत में आंकड़ों का समग्र और वृहद जुटान नहीं हो पाता है. मगर तरह तरह के रिकार्ड से अगर 15 लाख रोज़गार जाने की बात सामने आती है तो वास्तविक स्थिति इससे भी भयंकर होगी। CMIE का यह आंकलन 1, 61, 167 परिवारों के अखिल भारतीय सर्वे के आधार पर है.
सरकार का अपना लेबर ब्यूरो का रिकार्ड बताता है कि नोटबंदी के बाद रोज़गार के अवसरों में तेज़ी से कमी आई है. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का जुलाई 2017 के पहले हफ्ते तक का आंकड़ा भी बताता है कि 30 लाख 67 हज़ार उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया गया, मगर इनमें से तीन लाख से भी कम को रोज़गार मिला. यह कौशल मंत्रालय का अपना आंकड़ा है. ये सब इंडियन एक्सप्रेस में छपा है. सरकार के कई मंत्रियों ने प्रेस कांफ्रेंस की होगी, ज़ाहिर है वो यह सब आंकड़ा तो देंगे नहीं, इसके लिए आपको ख़ुद मेहनत करनी होगी.
उन्होंने एक अखबार के हवाले से कहा कि इस साल भारतीय कंपनियों ने विदेशों से 40 प्रतिशत कम कर्ज़ का जुटान किया है. 2018 के लिए कंपनियों ने अपनी क्षमता विस्तार का कोई नया प्लान नहीं बनाया है. 2017 में कई बड़ी कंपनियां दिवालिया हुईं हैं और उनकी संपत्तियों की नीलामी की प्रक्रिया शुरू हुई है. भारतीय कंपनियां भारत के बैंकों से भी अपने उद्योग या व्यापार के विस्तार के लिए लोन नहीं ले रही हैं. इसमें दो चार सेक्टर को छोड़ हर सेक्टर में ऐतिहासिक गिरावट है. पंजाब नेशनल बैंक अपने 300 ब्रांच बंद करेगा. डिज़िटाइजेशन के कारण बैंकों का स्वरूप काफी बदलेगा. इसे अभी देखना बाकी है.
गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भोपाल में कहा था कि नोटबंदी से देह व्यापार में कमी आई है. दलालों को नकद भुगतान नहीं होता है. उन्होंने कहा कि जल्दी ही कोई दावा कर देगा कि नोटबंदी से चर्मरोग भी कम हो गया है क्योंकि पुराने नोट संक्रिमत हो चुके थे. बालों का झड़ना कम हो गया है और गंजापन भी दूर होने लगा है. दूरगामी असर वाले नोटबंदी से सब दूर हो जाएंगे. बोलना ही तो है बोल दो.