मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के ऊर्जा मंत्रियों के सम्मेलन के रद्द होने को लेकर लगाये गये आरोपों को सिरे खारिज करते हुये आज कहा कि यह केंद्र सरकार का कार्यक्रम था और इसे रद्द करने का निर्णय भी केंद्र ने ही लिया था।
श्री कुमार ने पटना में ‘लोकसंवाद’ के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि 10 और 11 नवंबर को राजगीर में सभी राज्यों के ऊर्जा मंत्रियों का सम्मेलन होने वाला था, लेकिन अंतिम समय में इसे रद्द कर दिया गया। इससे लोगों को काफी असुविधा हुई है क्योंकि कई अतिथि पहुंच गये थे और कुछ पहुंचने वाले थे। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के रद्द होने का कारण केंद्र सरकार की बता सकती है। इस सम्मेलन के आयोजन में बिहार सरकार की भूमिका केवल सहयोग करने की ही थी।
इस मौके पर उपस्थित बिहार के ऊर्जा मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि राज्यों के ऊर्जा मंत्रियों का सम्मेलन बिहार में होने का निर्णय इससे पूर्व गुजरात के बड़ौदा में हुये सम्मेलन में ही लिया गया था। उन्होंने कहा कि पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत इस सम्मेलन का आयोजन बिहार में किया जाना था। वहीं, ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने कहा कि जहां तक खर्च की बात है, केंद्र सरकार के विभिन्न उपक्रमों के द्वारा कुल एक करोड़ 90 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया गया था। बिहार सरकार को आतिथ्य पर खर्च करना था, जिसके लिए मात्र 15 लाख रुपये की जरुरत थी। उल्लेखनीय है कि राजद अध्यक्ष श्री यादव ने ऊर्जा मंत्रियों का सम्मेलन रद्द होने पर आरोप लगाते हुये कहा था कि नीतीश सरकार ने इस कार्यक्रम पर पानी की तरह पैसा बहाया है।